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परमेश्वर के दैनिक वचन

आज के लिए परमेश्वर का वचन

सोमवार नवम्बर 25, 2024

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 594

आरंभ में परमेश्वर विश्राम में था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था और परमेश्वर ने तब तक किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। उसने अपने प्रबंधन का कार्य केवल तब आरंभ किया, जब मानवता अस्तित्व में आ गई और जब मानवता भ्रष्ट कर दी गई; उस पल से, उसने विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मानवता के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर दिया...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 112

सच्चे पश्चात्ताप के जरिये मनुष्य परमेश्वर की दया और सहनशीलता प्राप्त करता है (चुने हुए अंश) यहोवा परमेश्वर की चेतावनी नीनवे के लोगों तक पहुँचती है हम दूसरे अंश, योना की पुस्तक के तीसरे अध्याय पर चलते हैं : "योना ने नगर में प्रवेश करके एक दिन की यात्रा पूरी की, और यह प्रचार करता गया, 'अब से चालीस दिन के बीतने पर नीनवे उलट दिया जाएगा।'" ये वे वचन... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 111

परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को जानने के लिए व्यक्ति को अनुभव और कल्पना पर भरोसा नहीं करना चाहिए जब तुम स्वयं को परमेश्वर के न्याय और उसकी ताड़ना का सामना करते हुए पाते हो, तो क्या तुम कहोगे कि परमेश्वर का वचन मिलावटी है? क्या तुम कहोगे कि परमेश्वर के कोप के पीछे कोई कहानी है और वह मिलावटी है? क्या तुम परमेश्वर को यह कहते हुए बदनाम करोगे कि उसका स... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 110

यद्यपि शैतान दयालु, न्यासंगत और सदाचारी प्रतीत होता है, फिर भी शैतान का सार निर्दयी और बुरा है शैतान लोगों को धोखा देकर अपनी प्रतिष्ठा बनाता है और अकसर खुद को धार्मिकता के अगुआ और आदर्श के रूप में स्थापित करता है। धार्मिकता की रक्षा की आड़ में वह लोगों को हानि पहुँचाता है, उनकी आत्माओं को निगल जाता है, और मनुष्य को स्तब्ध करने, धोखा देने और भड़कान... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 109

परमेश्वर का कोप न्याय की समस्त शक्तियों और समस्त सकारात्मक चीज़ों के लिए सुरक्षा-उपाय है (चुने हुए अंश) क्या तुम लोग सदोम के विनाश में परमेश्वर के कोप का सार देख सकते हो? क्या उसके क्रोध में कोई और चीज़ मिली हुई है? क्या परमेश्वर का क्रोध पवित्र है? मनुष्य के शब्दों का प्रयोग करें तो, क्या परमेश्वर का कोप बिना किसी मिलावट के है? क्या उसके कोप के प... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 108

परमेश्वर का कोप न्याय की समस्त शक्तियों और समस्त सकारात्मक चीज़ों के लिए सुरक्षा-उपाय है अपमान के प्रति परमेश्वर की असहिष्णुता उसका अद्वितीय सार है; परमेश्वर का कोप उसका अद्वितीय स्वभाव है; परमेश्वर का प्रताप उसका अद्वितीय सार है। परमेश्वर के क्रोध के पीछे का सिद्धांत उस पहचान और हैसियत का प्रदर्शन है, जिसे सिर्फ वही धारण करता है। कहने की आवश्यकत... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 107

हालाँकि परमेश्वर का कोप मनुष्य से छिपा हुआ और अज्ञात है, फिर भी वह कोई अपमान सहन नहीं करता समस्त मानवजाति के प्रति, उस मानवजाति के प्रति जो कि मूर्ख और जाहिल है, परमेश्वर का व्यवहार मुख्य रूप से दया और सहनशीलता पर आधारित है। दूसरी ओर, उसका कोप अधिकांश समय और अधिकांश घटनाओं में छिपा रहता है, और मनुष्य उससे अनजान है। परिणामस्वरूप, परमेश्वर को अपना... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 106

उत्पत्ति 19:1-11 साँझ को वे दो दूत सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उन को देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा, और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा, "हे मेरे प्रभुओ, अपने दास के घर में पधारिए, और रात भर विश्राम कीजिए, और अपने पाँव धोइये, फिर भोर को उठकर अपने मार्ग पर जाइए।" उन्होंने कहा, "नहीं, हम चौक ही में रात बिताएँगे।" पर उसने ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 105

उत्पत्ति 19:1-11 साँझ को वे दो दूत सदोम के पास आए; और लूत सदोम के फाटक के पास बैठा था। उन को देखकर वह उनसे भेंट करने के लिये उठा, और मुँह के बल झुककर दण्डवत् कर कहा, "हे मेरे प्रभुओ, अपने दास के घर में पधारिए, और रात भर विश्राम कीजिए, और अपने पाँव धोइये, फिर भोर को उठकर अपने मार्ग पर जाइए।" उन्होंने कहा, "नहीं, हम चौक ही में रात बिताएँगे।" पर उसने ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 193

एक जीवधारी की मृत्यु-भौतिक जीवन का अंत—ये दर्शाता है कि एक जीवधारी भौतिक संसार से आत्मिक संसार में चला गया है, जबकि एक भौतिक जीवन के जन्म का तात्पर्य ये है कि एक जीवधारी आत्मिक संसार से भौतिक संसार में आया है और उसने अपनी भूमिका ग्रहण कर ली है और उसे निभाना आरम्भ कर दिया है। चाहे एक जीवधारी का आगमन हो अथवा गमन, दोनों आत्मिक जगत के कार्य से अटूट रूप... और देखें