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परमेश्वर के दैनिक वचन

आज के लिए परमेश्वर का वचन

सोमवार नवम्बर 25, 2024

परमेश्वर के दैनिक वचन : मंज़िलें और परिणाम | अंश 594

आरंभ में परमेश्वर विश्राम में था। उस समय पृथ्वी पर कोई मनुष्य या अन्य कुछ भी नहीं था और परमेश्वर ने तब तक किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं किया था। उसने अपने प्रबंधन का कार्य केवल तब आरंभ किया, जब मानवता अस्तित्व में आ गई और जब मानवता भ्रष्ट कर दी गई; उस पल से, उसने विश्राम नहीं किया बल्कि इसके बजाय उसने स्वयं को मानवता के बीच व्यस्त रखना आरंभ कर दिया...

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 10

परमेश्वर का भय न मानना और बुराई से दूर न रहना परमेश्वर का विरोध करना है आज तुम लोग परमेश्वर के आमने-सामने हो, और परमेश्वर के वचन के आमने-सामने हो; परमेश्वर के बारे में तुम लोगों का ज्ञान अय्यूब के ज्ञान की तुलना में बहुत अधिक है। मैं यह बात क्यों कह रहा हूँ? ये बातें कहने का मेरा क्या अभिप्राय है? मैं तुम लोगों को एक तथ्य समझाना चाहता हूँ, लेकिन... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 37

परमेश्वर अपना कार्य सम्पूर्ण जगत में करता है। वे सब जो उस पर विश्वास करते हैं, उन्हें अवश्य उसके वचनों को स्वीकार करना, और उसके वचनों को खाना और पीना चाहिए; परमेश्वर द्वारा दिखाए गए संकेतों और चमत्कारों को देख कर कोई भी व्यक्ति परमेश्वर द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। युगों के दौरान, परमेश्वर ने मनुष्य को पूर्ण बनाने के लिए सदैव वचन का उपयोग क... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 36

जैसे ही राज्य का युग आरंभ हुआ, परमेश्वर ने अपने वचन जारी करने आरंभ कर दिए। भविष्य में ये वचन उत्तरोत्तर पूरे होते जाएँगे, और उस समय, मनुष्य जीवन में बढ़ेगा। मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करने के लिए परमेश्वर द्वारा वचन का उपयोग अधिक वास्तविक और अधिक आवश्यक है, और मनुष्य के विश्वास को पूर्ण बनाने के उद्देश्य से वह अपना कार्य करने के लिए वचन के अला... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 8

परमेश्वर के मार्ग पर चलो : परमेश्वर का भय मानो और बुराई से दूर रहो एक कहावत है जिस पर तुम लोगों को ध्यान देना चाहिए। मेरा मानना है कि यह कहावत अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मेरे मन में हर दिन अनेक बार आती है। ऐसा क्यों है? इसलिए क्योंकि जब भी किसी से मेरा सामना होता है, जब भी किसी की कहानी सुनता हूँ, मैं जब भी किसी के अनुभव या परमेश्वर में व... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 7

परमेश्वर जिस मानक से मनुष्य का परिणाम निर्धारित करता है, उस बारे में अनेक राय हैं चूँकि प्रत्येक व्यक्ति अपने परिणाम को लेकर चिंतित होता है, क्या तुम लोग जानते हो कि परमेश्वर किस प्रकार उस परिणाम को निर्धारित करता है? परमेश्वर किस तरीके से किसी व्यक्ति का परिणाम निर्धारित करता है? और किसी व्यक्ति के परिणाम को निर्धारित करने के लिए वह किस प्रकार... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : कार्य के तीन चरण | अंश 34

परमेश्वर भिन्न-भिन्न युगों के अनुसार अपने वचन कहता है और अपना कार्य करता है, तथा भिन्न-भिन्न युगों में, वह भिन्न-भिन्न वचन कहता है। परमेश्वर नियमों से नहीं बँधता है, और एक ही कार्य को दोहराता नहीं है, और न अतीत की बातों को लेकर विषाद करता है; वह ऐसा परमेश्वर है जो सदैव नया है, कभी पुराना नहीं होता है, और वह हर दिन नये वचन बोलता है। जिस चीज का आज पा... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 6

लोगों का विश्वास सत्य का स्थान नहीं ले सकता कुछ लोग कठिनायाँ सह सकते हैं; वे कीमत चुका सकते हैं; उनका बाहरी आचरण बहुत अच्छा होता है, वे बहुत आदरणीय होते हैं; और लोग उनकी सराहना करते हैं। क्या तुम लोग इस प्रकार के बाहरी आचरण को, सत्य को अभ्यास में लाना कह सकते हो? क्या तुम लोग कह सकते हो कि ऐसे लोग परमेश्वर के इरादों को संतुष्ट कर रहे हैं? लोग ... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 5

एक सच्‍चे सृजित प्राणी को यह जानना चाहिए कि स्रष्टा कौन है, मनुष्‍य का सृजन किसलिए हुआ है, एक सृजित प्राणी की ज़िम्‍मेदारियों को किस तरह पूरा करें, और संपूर्ण सृष्टि के प्रभु की आराधना किस तरह करें, उसे स्रष्टा के इरादों, इच्‍छाओं और अपेक्षाओं को समझना, बूझना और जानना चाहिए, उनकी परवाह करनी चाहिए, और स्रष्टा के तरीके के अनुरूप कार्य करना चाहिए—परमे... और देखें

परमेश्वर के दैनिक वचन : परमेश्वर को जानना | अंश 4

यदि किसी ऐसे व्यक्ति की, जिसने कई वर्षों तक परमेश्वर का अनुसरण किया है और कई सालों तक उसके वचनों के पोषण का आनंद लिया है, परमेश्वर संबंधी परिभाषा अनिवार्यत: वैसी ही है, जैसी मूर्तियों के सामने भक्ति-भाव से दंडवत करने वाले व्यक्ति की होती है, तो यह इस बात का सूचक है कि इस व्यक्ति ने परमेश्वर के वचनों की वास्तविकता प्राप्त नहीं की है। इसका कारण यह ... और देखें