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क्या आप सच्चे मार्ग की जाँच करने की बुद्धिमत्ता के बारे में जानते हैं?

क्या आप सच्चे मार्ग की जाँच करने की बुद्धिमत्ता के बारे में जानते हैं?

अब यह प्रभु का स्वागत करने का निर्णायक क्षण है। पूरी दुनिया में, केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ही गवाही दे रही है कि प्रभु यीशु, अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है, जो पवित्र आत्मा कलीसियाओं से कहता है, वह उसे व्यक्त करता है और परमेश्वर के घर से शुरू होने वाले न्याय के कार्य को करता है। लेकिन जब लोग सीसीपी सरकार और धार्मिक जगत के पादरियों और एल्डर्स को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा करते हुए देखते हैं, बहुत से लोग मानते हैं कि यह सच्चा मार्ग नहीं है, और इसलिए वे इसकी खोज नहीं करते या इसको नहीं देखते हैं। यदि हम सच्चे मार्ग की जाँच में परमेश्वर की इच्छा नहीं खोजते हैं, बल्कि इसके बजाय धार्मिक जगत और चीनी सरकार के दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, क्या यही वह ज्ञान है जोकि सच्चे मार्ग की जाँच करते हुए हमारे पास होना चाहिए? सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने की बुद्धिमत्ता वास्तव में क्या है? प्रभु का स्वागत करने में सक्षम होने के लिए हम सच्चे मार्ग की जाँच कैसे कर सकते हैं? अब हम इन मुद्दों पर संगति करेंगे।

सच्चे मार्ग की जाँच करने की बुद्धिमत्ता (1)

कुछ लोगों का विश्वास है कि इससे पहले कि वे सच्चे मार्ग की जाँच करें, उन्हें पहले इसके बारे में धार्मिक जगत और राष्ट्रीय सरकार के मूल्यांकन को जरूर देखना चाहिए। वे सोचते हैं कि, यदि धार्मिक जगत और सत्ताधारी इसे दोषी ठहराते और सताते हैं, तो सम्भवतः यह सच्चा मार्ग नहीं हो सकता। लेकिन, क्या यह परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है, और क्या यह तथ्यों के अनुरूप है? दो हजार साल पहले, प्रभु यीशु के अवतार का जन्म होते ही क्या राजा हेरोद द्वारा उसका पीछा नहीं किया गया था। प्रभु यीशु द्वारा आधिकारिक रूप से अपना काम शुरू करने के बाद, धार्मिक जगत के मुख्य याजकों, शास्त्रियों और फरीसियों ने उसका घोर विरोध और निंदा की; प्रभु यीशु की गलती/दोष ढूँढने के लिए वे जो कुछ कर सकते थे, उन्होंने वो सब किया, और उन्होंने यह कहकर उसका आंकलन और उसे बदनाम किया कि उसने ईश-निंदा की थी। उन्होंने आम/सामान्य यहूदी जनता में भी अफवाहें फैलाईं, प्रभु यीशु के मार्ग को विधर्मी बताकर उसकी निंदा की, और अंततः रोमन सरकार के साथ सांठ-गांठ करके उसे सलीब पर चढ़ाया—ये सर्वमान्य तथ्य हैं। यदि हम अपने स्वयं के विचारों के आधार पर किसी नतीजे पर पहुँचने की कोशिश करते हैं, यह मानते हुए कि जिस मार्ग की राष्ट्रीय सरकार और धार्मिक जगत द्वारा निंदा की गई है, वह सच्चा मार्ग नहीं हो सकता, तो फिर क्या हम भी प्रभु यीशु की निंदा नहीं कर रहे हैं? ज़ाहिर है सच्चे मार्ग की जाँच करने का यह सही तरीका नहीं है।

वास्तव में, यदि हम ईमानदारी से चिंतन और तलाश करते हैं, तब हम यीशु के उत्पीड़न के तथ्यों में देखेंगे कि हमें सच्चे मार्ग की जाँच में कितना समझदार होना चाहिए। प्रभु यीशु ने बहुत पहले कहा था, "इस युग के लोग बुरे हैं" (लूका 11:29)। "और दण्ड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अंधकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उनके काम बुरे थे" (यूहन्ना 3:19)। शैतान पूरी दुनिया पर हावी है और पूरी मानवजाति शैतान की शक्ति के अधीन रहती है। कोई भी सच्चे परमेश्वर के आगमन का स्वागत नहीं करता है और दुनिया प्रकाश के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश करती है—फिर इस दुष्ट पीढ़ी द्वारा मनुष्यजाति के बीच सच्चे परमेश्वर के आगमन को कैसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है? जब यीशु ने प्रकट होकर अपना कार्य किया, तो पूरे यहूदी धार्मिक समुदाय और रोमन सरकार द्वारा उसे सताया गया और उसकी निंदा की गई, मगर इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि उन्होंने कैसे उसे सताया और क्रूरता से यातना दी थी, या कैसे उसे रोकने की पुरजोर कोशिश की थी, प्रभु यीशु का सुसमाचार अभी भी जंगल की आग की तरह फैलता है, इस प्रकार यह पूरी तरह से साबित करता है "प्राचीन काल से, सच्चे मार्ग को हमेशा सताया गया है" और "जो परमेश्वर से आता है वह पनपेगा।" इसलिए, जितनी ज्यादा इस मार्ग की शैतानी शासन और धार्मिक जगत द्वारा निंदा की जाती है, उतनी ही ज्यादा हमें यह देखने के लिए जाँच और खोज करनी चाहिए कि क्या इस मार्ग में पवित्र आत्मा का कार्य है और क्या यह परमेश्वर से आता है। केवल यही बुद्धिमत्ता सच्चे मार्ग की जाँच करते समय हमारे पास होनी चाहिए।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया खुलेआम यह गवाही दे रही है कि प्रभु यीशु अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है।

अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया खुलेआम यह गवाही दे रही है कि प्रभु यीशु अंत के दिनों का मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है। यदि हम सीसीपी सरकार और धार्मिक जगत के पादरियों और एल्डर्स को सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा करते हुए देखते हैं और इसलिए हम इस मार्ग की खोज और जाँच करना नहीं चाहते, तो क्या इससे प्रभु के स्वागत का मौका चूकने की अत्यधिक संभावना नहीं है? जब से सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रकट हुआ और 1991 में अपना कार्य शुरू किया, उसने नास्तिक सीसीपी सरकार और धार्मिक जगत की घोर निंदा और उत्पीड़न को झेला, इस तरह प्रभु यीशु की भविष्यवाणी को पूरी तरह से पूर्ण किया: "क्योंकि जैसे बिजली आकाश की एक छोर से कौंधकर आकाश की दूसरी छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है, कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। लेकिन प्राचीन काल से, सच्चे मार्ग को हमेशा सताया जाता रहा है और जो परमेश्वर से आता है वह जरूर पनपेगा, और फ़र्क नहीं पड़ता कि सीसीपी सरकार, पादरियों और एल्डर्स ने कैसे उसकी निंदा और विरोध किया, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का सुसमाचार चीनी मुख्यभूमि में हर तरफ फ़ैल गया है, और लाखों लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सुसमाचार को स्वीकार किया है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किये गये वचन—वचन देह में प्रकट होता है—बहुत लम्बे समय से ऑनलाइन हैं, और दुनिया भर के देशों के कई सत्य के प्रेमी, जो परमेश्वर के प्रकटन के लिए तरसते हैं, अंत के दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की खोज और जाँच करने के लिए ऑनलाइन गये हैं। इसलिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य और वचन बिजली की तरह पूर्व से पश्चिम तक फ़ैल गये हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसियाओं को चीन के साथ-साथ कई और देशों में भी स्थापित किया गया है, इसलिए ये पूरी तरह से प्रभु यीशु के वचनों को पूर्ण करते हैं, जब उसने कहा था, "क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती जाती है, वैसा ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा" (मत्ती 24:27)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार गंभीर उत्पीड़न के तले तेजी से फ़ैल रहा है, और यह पवित्र आत्मा के कार्य पर होने का ठोस प्रमाण है, जैसा कि जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य किया था। अगर हम वास्तव में समझ सकते हैं कि प्राचीन काल से, सच्चे मार्ग को हमेशा सताया जाता रहा है और परमेश्वर से जो आता है वह जरूर पनपेगा, तो जब हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की जाँच-पड़ताल करते हैं, तब हम धार्मिक जगत और सीसीपी शैतानी शासन द्वारा की गई निंदा के शब्दों से अब और विवश और नियंत्रित नहीं होंगे। इसके साथ ही, हमें इसकी खोज और जाँच करने में पहल करनी चाहिए, क्योंकि केवल यही वह बुद्धिमत्ता है जो सच्चे मार्ग की जाँच करते समय हमारे पास होनी चाहिए, और केवल ऐसा करके ही हम प्रभु का स्वागत करने में सक्षम होंगे।

सच्चे मार्ग की जाँच करने की बुद्धिमत्ता (2)

यह पुष्टि करने के अलावा कि प्राचीन काल से, सच्चे मार्ग को हमेशा सताया जाता रहा है और परमेश्वर से जो आता है वह जरूर पनपेगा, एक और महत्वपूर्ण पहलू बुद्धिमत्ता के बारे में समझना चाहिए, जो सच्चे मार्ग की जाँच करते समय हमारे पास होनी चाहिए। प्रभु यीशु ने एक बार भविष्यवाणी की थी, "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)। और प्रकाशितवाक्य की किताब भविष्वाणी करती है, "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। "जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य 2:7)। परमेश्वर कहता है, "चूँकि हम परमेश्वर के पदचिह्नों की खोज कर रहे हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम परमेश्वर की इच्छा, उसके वचन और कथनों की खोज करें—क्योंकि जहाँ कहीं भी परमेश्वर द्वारा बोले गए नए वचन हैं, वहाँ परमेश्वर की वाणी है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर के पदचिह्न हैं, वहाँ परमेश्वर के कर्म हैं। जहाँ कहीं भी परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वहाँ परमेश्वर प्रकट होता है, और जहाँ कहीं भी परमेश्वर प्रकट होता है, वहाँ सत्य, मार्ग और जीवन विद्यमान होता है।"

ये वचन हमें दिखाते हैं कि जब प्रभु अंत के दिनों में लौटता है, वह और अधिक सत्यों को व्यक्त करेगा और हमारे हृदयों के दरवाजों पर दस्तक देने के लिए अपने वचनों का उपयोग करेगा। वे सभी जो परमेश्वर की वाणी सुनते हैं और इसे स्वीकार करने और इसका आज्ञापालन करने में सक्षम हैं, वे बुद्धिमान कुंवारियाँ हैं, जो प्रभु के साथ उसके भोज में शामिल हो सकते हैं। इसलिए, जब हम सच्चे मार्ग की जाँच करते हैं, यह अनिवार्य है कि हम यह देखने के लिए परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान दें कि क्या इस मार्ग में सत्य की अभिव्यक्तियाँ हैं और क्या परमेश्वर स्वयं बोल रहे हैं। यह सच्चे मार्ग की जाँच करने के लिए बुद्धिमत्ता का दूसरा पहलू है। क्योंकि परमेश्वर सत्य, मार्ग और जीवन है, क्योंकि उसके वचन अटल सत्य हैं, और क्योंकि परमेश्वर जो वचन व्यक्त करता है, वह उसके सार और स्वभाव की अभिव्यक्तियाँ हैं, और वे वचन किसी मानव द्वारा व्यक्त नहीं किये जा सकते, इसलिए, जब हम सच्चे मार्ग की जाँच कर रहे होते हैं, जब तक हम सुनिश्चित करते हैं कि इस मार्ग में सत्य की अभिव्यक्तियाँ हैं और कि यह हम तक मार्ग और जीवन ला सकता है, तो यह परमेश्वर के वचन और कार्य हैं, यह परमेश्वर का प्रकटन है, और इसे स्वीकार करके और इसे समर्पित होकर, हम प्रभु की वापसी का स्वागत कर रहे होते हैं। उदाहरण के लिए, जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य किया, पतरस, यूहन्ना, नतनेल और अन्य लोग मसीहा का स्वागत करने में सक्षम थे क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की वाणी सुनने पर ध्यान दिया। जब उन्होंने सुना कि प्रभु यीशु के वचनों में अधिकार और शक्ति है, जब उन्होंने देखा कि प्रभु कई रहस्यों को पूरी तरह से खोल/जाहिर कर सकता है और मनुष्य के हृदय में झाँक सकता है, और यह कि वह हमेशा लोगों की समस्याओँ और कठिनाईयों का समाधान करने में सक्षम था, तब उन्होंने प्रभु यीशु को मसीहा के रूप में जाना, और अंततः उसका अनुसरण किया और उसका उद्धार प्राप्त किया। इसके विपरीत, धार्मिक जगत के शास्त्रियों और फरीसियों ने परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान नहीं दिया, और भले ही प्रभु के वचन कितने ही आधिकारिक और प्रभावशाली थे, फिर भी उन्होंने उसके कार्य की खोज और जाँच करने को नहीं चुना, और उग्रता से प्रभु का विरोध और निंदा की। अंत में, उन्होंने उसे सलीब पर चढ़ा दिया, और इसलिए उन्हें परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित किया गया। इसी बीच, आम यहूदी जनता ने भी परमेश्वर की आवाज नहीं सुनी, बल्कि केवल धार्मिक समुदाय के अगुआओं ने जो कहा, वह आँख मूँदकर मान लिया। वे फरीसियों के साथ हो गये और परमेश्वर का विरोध किया, और इसलिए अंत में हमेशा के लिए परमेश्वर का उद्धार खो दिया। इतिहास के इन उदाहरणों से हमें पता चलता है कि अगर हम सच्चे मार्ग की जाँच करना चाहते हैं और अंत के दिनों में प्रभु की वापसी का स्वागत करना चाहते हैं, तो हमें परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान देना होगा और पवित्र आत्मा कलीसियाओं से जो कहता है, उसे खोजना होगा। केवल यही सच्चे मार्ग की जाँच करने की बुद्धिमत्ता और तरीका है। जब हम पवित्र आत्मा के कथन सुनते हैं, तो क्या हम परमेश्वर की वाणी नहीं सुनते और प्रभु का स्वागत नहीं करते हैं?

पूरी दुनिया में, अब केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ही खुले तौर पर गवाही दे रही है कि प्रभु यीशु लौट आया है, और यह कि उसने लाखों वचन व्यक्त किये हैं और वह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य कर रहा है। यह प्रभु यीशु की भविष्यवाणियों को पूरी तरह से पूर्ण करता है: "मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा" (यूहन्ना 16:12-13)। "जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:48)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किये गये वचन—वचन देह में प्रकट होता है—लम्बे समय से उन लोगों के लिए ऑनलाइन प्रकाशित किये गये हैं, जो सत्य की चाह रखते हैं और खोज और जाँच के लिए परमेश्वर के प्रकटन की तलाश कर रहे हैं। ये वचन न केवल परमेश्वर के छह-हजार-वर्षीय प्रबंधन योजना का रहस्य, देहधारण का रहस्य, तीन चरणों के कार्य की आंतरिक कथा और सार, परमेश्वर के नामों के महत्त्व को उजागर करते हैं, बल्कि वे हमें ये भी बताते हैं कि कैसे शैतान इंसान को भ्रष्ट करता है, कैसे परमेश्वर मनुष्य को कदम दर कदम बचाता है, कैसे अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय का कार्य मनुष्य को शुद्ध करता, बदलता और पूर्ण करता है, कौन-कौन से गंतव्य और अंत विभिन्न प्रकार के लोगों की प्रतीक्षा करते हैं, एक वास्तविक मानव सदृश/(की तरह) जीने की तलाश कैसे करनी चाहिए, हम कैसे ईमानदार व्यक्ति बन सकते हैं, हम परमेश्वर के प्रति वफादार और आज्ञाकारी कैसे बन सकते हैं, हम कैसे पूर्ण उद्धार प्राप्त करके स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं, इत्यादि। परमेश्वर की वाणी को सुनकर, और यह देखकर कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, कि उनमें अधिकार और शक्ति है, और ये परमेश्वर के वचन हैं, सभी धर्मों और सम्प्रदायों के लोग जो परमेश्वर के प्रकटन के लिए तरसते हैं, एक-एक करके परमेश्वर के सिंहासन के सम्मुख लौट रहे हैं। इसलिए परमेश्वर के वचनों को और ज्यादा पढ़कर, हम जानेंगे कि क्या वे परमेश्वर की वाणी हैं, और क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर, कार्य के लिए परमेश्वर का प्रकटन है।

सारांश में, बुद्धिमत्ता के दो पहलू हैं, जो सच्चे मार्ग की जाँच करते समय हमारे पास होने चाहिए: पहला यह समझना है कि प्राचीन काल से, सच्चे मार्ग को हमेशा सताया जाता रहा है और परमेश्वर से जो आता है वह जरूर पनपेगा, और दूसरा कि जितना ज्यादा इस मार्ग को सताया जाता है, उतना ज्यादा हमें इसकी खोज और जाँच करनी चाहिए; अधिक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि, जब हम सच्चे मार्ग की खोज और जाँच करते हैं, हमें परमेश्वर की वाणी को सुनने पर और परमेश्वर के वर्तमान कार्य और वचनों की खोज और जाँच करने पर ध्यान देना होगा। जब हमारे पास सच्चे मार्ग की जाँच करते समय इन दो पहलुओं का ज्ञान हो सकता है, तो हम जान जायेंगे कि हम अपने मार्ग से भटक नहीं सकते। इसके बजाय, हम परमेश्वर की वाणी सुन पायेंगे, उसके पदचिह्नों का अनुसरण करेंगे, प्रभु की वापसी का स्वागत करेंगे, और अंत के दिनों में परमेश्वर का उद्धार प्राप्त करेंगे।

संपादक की टिप्पणी

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