1भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आँखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता।
2भला होता कि मुझे जंगल में बटोहियों का कोई टिकाव मिलता कि मैं अपने लोगों को छोड़कर वहीं चला जाता! क्योंकि वे सब व्यभिचारी हैं, वे विश्वासघातियों का समाज हैं।
3अपनी-अपनी जीभ को वे धनुष के समान झूठ बोलने के लिये तैयार करते हैं, और देश में बलवन्त तो हो गए, परन्तु सच्चाई के लिये नहीं; वे बुराई पर बुराई बढ़ाते जाते हैं, और वे मुझको जानते ही नहीं, यहोवा की यही वाणी है।
4अपने-अपने संगी से चौकस रहो, अपने भाई पर भी भरोसा न रखो; क्योंकि सब भाई निश्चय अड़ंगा मारेंगे, और हर एक पड़ोसी लुतराई करते फिरेंगे।
5वे एक दूसरे को ठगेंगे और सच नहीं बोलेंगे; उन्होंने झूठ ही बोलना सीखा है; और कुटिलता ही में परिश्रम करते हैं।
6तेरा निवास छल के बीच है; छल ही के कारण वे मेरा ज्ञान नहीं चाहते, यहोवा की यही वाणी है।
7इसलिए सेनाओं का यहोवा यह कहता है, "देख, मैं उनको तपाकर परखूँगा*, क्योंकि अपनी प्रजा के कारण मैं उनसे और क्या कर सकता हूँ?
8उनकी जीभ काल के तीर के समान बेधनेवाली है, उससे छल की बातें निकलती हैं; वे मुँह से तो एक दूसरे से मेल की बात बोलते हैं पर मन ही मन एक दूसरे की घात में लगे रहते हैं।
9क्या मैं ऐसी बातों का दण्ड न दूँ? यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसी जाति से अपना पलटा न लूँ?
10"मैं पहाड़ों के लिये रो उठूँगा और शोक का गीत गाऊँगा, और जंगल की चराइयों के लिये विलाप का गीत गाऊँगा, क्योंकि वे ऐसे जल गए हैं कि कोई उनमें से होकर नहीं चलता, और उनमें पशुओं का शब्द भी नहीं सुनाई पड़ता; पशु-पक्षी सब भाग गए हैं।
11मैं यरूशलेम को खण्डहर बनाकर गीदड़ों का स्थान बनाऊँगा; और यहूदा के नगरों को ऐसा उजाड़ दूँगा कि उनमें कोई न बसेगा।" (यशा. 25:2)
12जो बुद्धिमान पुरुष हो वह इसका भेद समझ ले, और जिसने यहोवा के मुख से इसका कारण सुना हो वह बता दे। देश का नाश क्यों हुआ? क्यों वह जंगल के समान ऐसा जल गया कि उसमें से होकर कोई नहीं चलता?
13और यहोवा ने कहा, "क्योंकि उन्होंने मेरी व्यवस्था को जो मैंने उनके आगे रखी थी छोड़ दिया; और न मेरी बात मानी और न उसके अनुसार चले हैं,
14वरन् वे अपने हठ पर बाल नामक देवताओं के पीछे चले, जैसा उनके पुरखाओं ने उनको सिखाया*।
15इस कारण, सेनाओं का यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर यह कहता है, सुन, मैं अपनी इस प्रजा को कड़वी वस्तु खिलाऊँगा और विष पिलाऊँगा। (भज. 69:21, यिर्म. 23:15)
16मैं उन लोगों को ऐसी जातियों में तितर-बितर करूँगा जिन्हें न तो वे न उनके पुरखा जानते थे; और जब तक उनका अन्त न हो जाए तब तक मेरी ओर से तलवार उनके पीछे पड़ी रहेगी।"
17सेनाओं का यहोवा यह कहता है, "सोचो, और विलाप करनेवालियों को बुलाओ; बुद्धिमान स्त्रियों को बुलवा भेजो;
18वे फुर्ती करके हम लोगों के लिये शोक का गीत गाएँ कि हमारी आँखों से आँसू बह चलें और हमारी पलकें जल बहाए।
19सिय्योन से शोक का यह गीत सुन पड़ता है, 'हम कैसे नाश हो गए! हम क्यों लज्जा में पड़ गए हैं, क्योंकि हमको अपना देश छोड़ना पड़ा और हमारे घर गिरा दिए गए हैं।'"
20इसलिए, हे स्त्रियों, यहोवा का यह वचन सुनो, और उसकी यह आज्ञा मानो; तुम अपनी-अपनी बेटियों को शोक का गीत, और अपनी-अपनी पड़ोसिनों को विलाप का गीत सिखाओ।
21क्योंकि मृत्यु हमारी खिड़कियों से होकर हमारे महलों में घुस आई है, कि हमारी सड़कों में बच्चों को और चौकों में जवानों को मिटा दे।
22तू कह, "यहोवा यह कहता है, 'मनुष्यों की लोथें ऐसी पड़ी रहेंगी जैसा खाद खेत के ऊपर, और पूलियाँ काटनेवाले के पीछे पड़ी रहती हैं, और उनका कोई उठानेवाला न होगा।'"
23यहोवा यह कहता है, "बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे;
24परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता है, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। (1 कुरि. 1:31, 2 कुरि. 10:17)
25"देखो, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आनेवाले हैं कि जिनका खतना हुआ* हो, उनको खतनारहितों के समान दण्ड दूँगा, (रोम. 2:25)
26अर्थात् मिस्रियों, यहूदियों, एदोमियों, अम्मोनियों, मोआबियों को, और उन रेगिस्तान के निवासियों के समान जो अपने गाल के बालों को मुँड़ा डालते हैं; क्योंकि ये सब जातियाँ तो खतनारहित हैं, और इस्राएल का सारा घराना भी मन में खतनारहित है।" (प्रेरि. 7:51)