ऑनलाइन बैठक

मेन्‍यू

व्यवस्थाविवरण 16

1"अबीब महीने को स्मरण करके अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये फसह का पर्व मानना*; क्योंकि अबीब महीने में तेरा परमेश्‍वर यहोवा रात को तुझे मिस्र से निकाल लाया।

2इसलिए जो स्थान यहोवा अपने नाम का निवास ठहराने को चुन लेगा, वहीं अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये भेड़-बकरियों और गाय-बैल फसह करके बलि करना*।

3उसके संग कोई ख़मीरी वस्तु न खाना; सात दिन तक अख़मीरी रोटी जो दुःख की रोटी है खाया करना; क्योंकि तू मिस्र देश से उतावली करके निकला था; इसी रीति से तुझको मिस्र देश से निकलने का दिन जीवन भर स्मरण रहेगा। (1 कुरि. 5:8)

4सात दिन तक तेरे सारे देश में तेरे पास कहीं ख़मीर देखने में भी न आए; और जो पशु तू पहले दिन की संध्या को बलि करे उसके माँस में से कुछ सवेरे तक रहने न पाए।

5फसह को अपने किसी फाटक के भीतर, जिसे तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे दे बलि न करना।

6जो स्थान तेरा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम का निवास करने के लिये चुन ले केवल वहीं, वर्ष के उसी समय जिसमें तू मिस्र से निकला था, अर्थात् सूरज डूबने पर संध्याकाल को, फसह का पशुबलि करना।

7तब उसका माँस उसी स्थान में जिसे तेरा परमेश्‍वर यहोवा चुन ले भूँजकर खाना; फिर सवेरे को उठकर अपने-अपने डेरे को लौट जाना।

8छः दिन तक अख़मीरी रोटी खाया करना; और सातवें दिन तेरे परमेश्‍वर यहोवा के लिये महासभा हो; उस दिन किसी प्रकार का काम-काज न किया जाए। (लूका 2: 41)

9"फिर जब तू खेत में हँसुआ लगाने लगे, तब से आरम्भ करके सात सप्ताह गिनना।

10तब अपने परमेश्‍वर यहोवा की आशीष के अनुसार उसके लिये स्वेच्छाबलि देकर सप्ताहों का पर्व मानना;

11और उस स्थान में जो तेरा परमेश्‍वर यहोवा अपने नाम का निवास करने को चुन ले अपने-अपने बेटे-बेटियों, दास-दासियों समेत तू और तेरे फाटकों के भीतर जो लेवीय हों, और जो-जो परदेशी, और अनाथ, और विधवाएँ तेरे बीच में हों, वे सब के सब अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने आनन्द करें।

12और स्मरण रखना कि तू भी मिस्र में दास था; इसलिए इन विधियों के पालन करने में चौकसी करना।

13"तू जब अपने खलिहान और दाखमधु के कुण्ड में से सब कुछ इकट्ठा कर चुके, तब झोपड़ियों का पर्व सात दिन मानते रहना;

14और अपने इस पर्व में अपने-अपने बेटे बेटियों, दास-दासियों समेत तू और जो लेवीय, और परदेशी, और अनाथ, और विधवाएँ तेरे फाटकों के भीतर हों वे भी आनन्द करें।

15जो स्थान यहोवा चुन ले उसमें तू अपने परमेश्‍वर यहोवा के लिये सात दिन तक पर्व मानते रहना; क्योंकि तेरा परमेश्‍वर यहोवा तेरी सारी बढ़ती में और तेरे सब कामों में तुझको आशीष देगा; तू आनन्द ही करना।

16वर्ष में तीन बार, अर्थात् अख़मीरी रोटी के पर्व, और सप्ताहों के पर्व, और झोपड़ियों के पर्व, इन तीनों पर्वों में तुम्हारे सब पुरुष अपने परमेश्‍वर यहोवा के सामने उस स्थान में जो वह चुन लेगा जाएँ। और देखो, खाली हाथ यहोवा के सामने कोई न जाए;

17सब पुरुष अपनी-अपनी पूँजी, और उस आशीष के अनुसार जो तेरे परमेश्‍वर यहोवा ने तुझको दी हो, दिया करें।

18"तू अपने एक-एक गोत्र में से, अपने सब फाटकों के भीतर जिन्हें तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझको देता है न्यायी और सरदार नियुक्त कर लेना*, जो लोगों का न्याय धर्म से किया करें।

19तुम न्याय न बिगाड़ना; तू न तो पक्षपात करना; और न तो घूस लेना, क्योंकि घूस बुद्धिमान की आँखें अंधी कर देती है, और धर्मियों की बातें पलट देती है।

20जो कुछ नितान्त ठीक है उसी का पीछा करना, जिससे तू जीवित रहे, और जो देश तेरा परमेश्‍वर यहोवा तुझे देता है उसका अधिकारी बना रहे।

21"तू अपने परमेश्‍वर यहोवा की जो वेदी बनाएगा उसके पास किसी प्रकार की लकड़ी की बनी हुई अशेरा का स्थापन न करना।

22और न कोई लाठ खड़ी करना, क्योंकि उससे तेरा परमेश्‍वर यहोवा घृणा करता है।

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