वर्ष 1949 में मेनलैण्ड चीन में सत्ता में आने के बाद से, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी धार्मिक आस्था का निरंतर उत्पीड़न करने में लगी रही है। पागलपन में यह ईसाइयों को बंदी बना चुकी है और उनकी हत्या कर चुकी है, चीन में काम कर रहे मिशनरियों को निष्काषित कर चुकी है और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा चुका है, बाइबल की अनगिनत प्रतियां जब्त कर जला दी गयीं हैं, कलीसिया की इमारतों को सीलबंद कर दिया गया है और ढहाया जा चुका है, और सभी गृह कलीसिया को जड़ से उखाड़ फैंकने का प्रयास किया जा चुका है। यह डॉक्यूमेंटरी सीसीपी के हाथों एक चीनी ईसाई, यू देहुई को यातना दे-देकर मार डालने के सच्चे अनुभव को बयाँ करती है। सीसीपी के द्वारा यू देहुई को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार किया गया, पीटा गया और जेल में डाल दिया गया क्योंकि वह परमेश्वर में आस्था रखता था और अपने कर्तव्य का निर्वहन करता था। जेल में रहने के दौरान, लंबे समय तक सुरक्षाकर्मियों द्वारा जबरन उसका खून लिया जाता रहा; यतानाएँ सहकर उसका शरीर एकदम कमज़ोर और कृशकाय हो गया। जेल से रिहा होने के बाद, डॉक्टरी जाँच में पता चला कि उसमें खून की ज़बर्दस्त कमी हो गयी है, और यह भी संदेह व्यक्त किया गया कि इसी वजह से उसे घातक कैंसर हो गया है; हालाँकि उसे कई अस्पतालों में भेजा गया, लेकिन कहीं भी उसका इलाज नहीं हो सका। आखिरकार वह अन्यायपूर्ण मौत का शिकार हो गया। एक हँसता-खेलता परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गया, और घरवालों के लिए एक न भरने वाला ज़ख्म और सदमा रह गया ...
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