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हमें "दूसरे सुसमाचार" को कैसे समझना चाहिए?

संपादक की टिप्पणी

गलातियों 1:6-8 में दर्ज की गयी बातों की वजह से, कई भाई-बहन ऐसे हैं जो मानते हैं कि उन्हें प्रभु यीशु के मार्ग पर बने रहना चाहिए और किसी अन्य द्वारा प्रचारित किसी भी सुसमाचार का पालन नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अपने धर्म का त्याग करना है। उस वक्त में, पौलुस ने इन शब्दों को किन हालात में कहा था? हमें "दूसरे सुसमाचार" को कैसे समझना चाहिए?

बाइबल कहती है, "मुझे आश्‍चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो" (गलातियों 1:6-8)

हमें

हममें से जो लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, वे पवित्रशास्त्र के इन पदों से अच्छी तरह से परिचित होंगे। विशेष रूप से हाल के वर्षों में, पादरियों और एल्डरों ने अक्सर इन पदों पर उपदेश दिया है, उन्होंने चेतावनी दी है कि हम प्रभु यीशु के नाम को बनाए रखें, उनके मार्ग पर बने रहें, और किसी अन्य धर्मोपदेश को नहीं सुनें, किसी अन्य द्वारा प्रचारित सुसमाचार को स्वीकार करने की तो बात ही दूर है। ऐसा न करने पर हम धर्मत्याग कर बैठेंगे और परमेश्वर के द्वारा शापित होंगे। वर्षों तक प्रभु में विश्वास रखते हुए, मैंने हमेशा इन पदों का पालन किया और जो कुछ पादरियों और एल्डरों ने कहा, उसे सुना। जब मैंने सुना कि बहुत से लोग गवाही दे रहे हैं कि प्रभु पहले ही लौट आए हैं, तब भी मैंने उनके धर्मोपदेशों को सुनने, या उनके मार्ग की जाँच करने की हिम्मत नहीं की। मुझे डर था कि "दूसरा सुसमाचार" सुनकर मैं प्रभु से विश्वासघात कर बैठूँगा। लेकिन मेरी कलीसिया उजड़ती ही जा रही थी, मेरे जीवन को किसी भी सभा या पादरी और एल्डर द्वारा दिए गए किसी भी धर्मोपदेश से पोषण नहीं मिल रहा था, अधिक से अधिक भाई-बहन सांसारिक प्रवृत्तियों का पालन कर रहे थे, वे दौलत और शोहरत की खोज में जा रहे थे, यहाँ तक कि वे हमारी सभाओं को भी व्यापार की जगहों में बदल रहे थे जहाँ व्यापारिक रिश्ते बनाये जा सकते थे। मेरी आत्मा मुरझा गई थी, जब मैं बाइबल पढ़ता था तो मुझे कोई प्रेरणा महसूस नहीं होती थी, मुझे अपनी कलीसिया की सभा में शामिल होने से कोई आनंद नहीं मिलता था। क्या मेरा अपनी कलीसिया से इस तरह हठपूर्वक चिपके रहना सचमुच परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप था? मैंने कई बार इस बारे में प्रभु से प्रार्थना की, उनसे मुझे प्रबुद्ध करने, मार्गदर्शन करने और मुझे अभ्यास का मार्ग दिखाने के लिए विनती की।

एक दिन, मेरा पुराना दोस्त, मू डाओ, जिसे मैंने वर्षों में नहीं देखा था, वह एक अन्य जगह से वापस आया जहाँ वह काम कर रहा था और उपदेश दे रहा था। हमने गलातियों के अध्याय 1 में पदसंख्या 6-8 से संबंधित अपनी समझ के बारे में बात की। मैंने कहा, "पादरी और एल्डर अक्सर इन पदों पर हमें उपदेश देते हैं, और वे कहते हैं कि अब हम अंत के दिनों में हैं, और प्रभु यीशु जल्द ही हमारे लिए लौटेंगे। वे कहते हैं कि, इस महत्वपूर्ण समय में, कई ऐसे लोग हैं जो विधर्म और झूठे मार्गों का उपदेश दे रहे हैं, और हमें अपनी कलीसिया से जुड़े रहना चाहिए और अन्य मार्गों की खोज और जांच नहीं करनी चाहिए, क्योंकि अगर हमने ऐसा किया, तो हम एक दूसरे सुसमाचार का अनुसरण करेंगे और प्रभु को धोखा देंगे। मैं भी इस विचार से वर्षों तक जुड़ा रहा, भले ही मैंने लोगों को इस बात की गवाही देते हुए सुना है कि परमेश्वर लौट आए हैं, मैंने इस मार्ग की तलाश करने की हिम्मत नहीं की क्योंकि मैं उस बात से प्रभावित हूँ। मैं पादरी और एल्डर जो कुछ कहते हैं उससे चिपके रहता हूँ, फिर मुझे ऐसा कैसे लगता है कि मेरी आत्मा अंधकारमय होती जा रही है? मैं बहुत उलझन में हूँ और मुझे नहीं पता कि ऐसा करना परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है या नहीं। पादरी और एल्डर भी बाइबल से अपने उद्धरण लेते हैं, इसलिए मैं वास्तव में इस मामले को समझ नहीं पा रहा हूँ। इसके बारे में तुम क्या सोचते हो?"

मेरी बात सुनने के बाद, मू डाओ ने मुझे संगति देते हुए कहा, "पादरियों और एल्डरों द्वारा इस्तेमाल किए गए उद्धरण वही हैं जो बाइबल में पौलुस ने कहा है। पौलुस की कही गई बातें अनुग्रह के युग में गलत नहीं थीं, लेकिन अगर अंशों को बाइबल से गलत संदर्भ में उद्धृत किया जाता है और हर जगह समान रूप से इस्तेमाल किया जाता है, तो वे हमें गुमराह करने के काबिल हैं! दरअसल, पौलुस ने जो कहा, उसकी एक निश्चित परिस्थिति थी। उस समय, प्रभु यीशु का सुसमाचार जंगल की आग की तरह फैल रहा था, और गलातिया में कई लोगों ने प्रभु के नए कार्य को स्वीकार किया और उन्होंने कलीसिया स्थापित किए। यह व्यवस्था के युग का अनुग्रह के युग में बदलने का समय था, और उस समय के यहूदियों के बीच, दो समूह थे जो सुसमाचार का प्रसार करते थे: एक समूह व्यवस्था के युग के पुराने कार्य का प्रचार करता था, लोगों को यहोवा की व्यवस्था का पालन करना, खतना करवाना, सब्त रखना और मंदिर जाना, इत्यादि की शिक्षा देता था; दूसरा समूह (जिसमें मुख्य रूप से यीशु के 12 शिष्य शामिल थे) अनुग्रह के युग के नए कार्य का प्रचार करता था। उन्होंने लोगों को प्रभु यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने, प्रभु की अपेक्षाओं के अनुसार कार्य करने, पापस्वीकार करने, पश्चाताप करने, बपतिस्मा लेने, एक-दूसरे से प्यार करने और एक-दूसरे के प्रति सहनशीलता और धैर्य दिखाने, इत्यादि के लिए प्रोत्साहित किया। पुराने नियम की व्यवस्था से चिपके रहने वाले फरीसियों ने कहा कि प्रभु यीशु के शिष्यों द्वारा प्रचारित सुसमाचार पूरी तरह से उनके प्रचार से अलग था, उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु का मार्ग पुराने नियम से परे था। इसलिए उन्होंने प्रभु यीशु के नए कार्य को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, इसके अलावा उन्होंने क्रूस पर प्रभु के उद्धार को स्वीकार करने वालों को बाधित करने की कोशिश की। उस समय, पौलुस ने अपने काम की व्यस्तता के चलते गलातियों की कलीसियाओं से चला गया, तब जो लोग पुराने नियम की व्यवस्था का प्रचार करते थे, उन्होंने इस अवसर का लाभ उठाया और वहाँ के विश्वासियों को बाधित करने के लिए गलातियों की कलीसियाओं में आ गए। चूँकि उस समय के गलातियों में विवेक नहीं था, इसलिए अंत में, वे प्रभु यीशु के सुसमाचार से दूर हो गए और उन्होंने व्यवस्था का प्रचार करने वाले सुसमाचार का पालन करना शुरू कर दिया। जब पौलुस को इस बारे में पता चला, तो उसने गलातियों की कलीसियाओं को यह लिखा, 'मुझे आश्‍चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो' (गलातियों 1:6-8)। कलीसियाओं को ऐसा पत्र लिखकर पौलुस ने गलातियों को सच्चे मार्ग पर लौट आने के लिए प्रोत्साहित किया।

"पौलुस ने ये भी कहा, 'हे निर्बुद्धि गलातियो, किसने तुम्हें मोह लिया है? तुम्हारी तो मानो आँखों के सामने यीशु मसीह क्रूस पर दिखाया गया! मैं तुम से केवल यह जानना चाहता हूँ कि तुम ने आत्मा को, क्या व्यवस्था के कामों से या विश्‍वास के समाचार से पाया?' (गलातियों 3:1-2)। इससे हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि पौलुस द्वारा बोले गए शब्दों 'दूसरा सुसमाचार' का अर्थ था वह सुसमाचार जो लोगों को व्यवस्था का पालन करने के लिए कहता है, और यह उस समय के लोगों के लिए एक चेतावनी थी, कि अनुग्रह के युग में, केवल प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य के सुसमाचार को स्वीकार करने से ही उन्हें बचाया जा सकता है, इसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि अब हम अन्य उपदेशों को सुनने या अन्य मार्गों की तलाश और जांच करते हैं या नहीं। इसके अलावा, पौलुस सिर्फ एक प्रेरित था जिसने अनुग्रह के युग में सुसमाचार का प्रचार किया था; वह कोई नबी नहीं था और कोई द्रष्टा नहीं था। उसके द्वारा लिखा गया यह पत्र केवल उस समय गलातियों की कलीसियाओं के मुद्दों पर लक्षित था, यह उन्हें उपदेश देने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए लिखा गया था। यदि हम पौलुस के उपदेशों को लेकर उन्हें अंत के दिनों में पूरी तरह लागू करते हैं, यह मानते हैं कि हम किसी और द्वारा प्रचारित किसी भी मार्ग के बारे में नहीं सुन सकते हैं और किसी अन्य मार्ग की खोज या जांच नहीं कर सकते, तो क्या यह आँख बंद करके केवल नियमों का पालन करना नहीं होगा?"

मू डाओ के शब्दों ने मुझे ऐसा महसूस कराया जैसे मैं एक सपने से जागा हूँ। मैंने सोचा, "हाँ, पौलुस ने जो कहा, उसके पीछे कुछ निश्चित हालात थे और उसके शब्द पूरी तरह से अनुग्रह के युग के गलातियों की कलीसियाओं पर लक्षित थे। पौलुस कोई भविष्यवक्ता नहीं था, भविष्य में क्या होगा, वह इसका पूर्वाभास नहीं कर सकता था, तो मैं दो हज़ार साल पहले पौलुस द्वारा बोले गए शब्दों को आज सीने से कैसे चिपका सकता हूँ? मैं इतना मूर्ख कैसे हो सकता हूँ!" यह सोचकर मैंने थोड़ी शर्मिंदगी से कहा, "तुम सही कह रहे हो। मैंने कभी बाइबल में पौलुस द्वारा कही गयी इन बातों की पृष्ठभूमि की तलाश या जाँच नहीं की, इसके बजाय मैं सिर्फ पादरियों और एल्डरों के उपदेशों में आँख बंद करके विश्वास करता रहा, मेरी समझ वास्तव में सच्चाई से बहुत दूर रही है।"

मू डाओ ने कहा: "तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। अब, हम अंत के दिनों में हैं और यह प्रभु के लौटने का महत्वपूर्ण समय है। हमें प्रभु के आगमन के प्रति अपने दृष्टिकोण को उनके वचनों पर आधारित करना चाहिए, न कि आँख बंद करके केवल दूसरों की बातों पर विश्वास करना चाहिए, वरना हम परमेश्वर के आगमन का स्वागत करने का मौका चूक जाएंगे, और प्रभु में हमारा इतने वर्षों का विश्वास व्यर्थ हो जायेगा। मैं पिछले कुछ दिनों से सोचता रहा हूँ और प्रकाशितवाक्य में भी कहा गया है: 'फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था' (प्रकाशितवाक्य 14:6)। यहाँ यह कहा गया है कि एक सनातन सुसमाचार होगा जिसका प्रचार सभी देशों और लोगों के लिए किया जायेगा, तो क्या यहाँ यह कहा जा रहा है कि कोई अंत के दिनों में हमारे लिए सुसमाचार का प्रचार करेगा?"

मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरी बुद्धि अचानक प्रबुद्ध हो गयी है और मैंने उत्साहपूर्वक मू डाओ से कहा, "अब जब तुमने यह बात चलाई है, तो मुझे पतरस के पहले धर्म-पत्रपत्र के अध्याय 1 पद-संख्या 5 का ध्यान आ रहा है: 'जिनकी रक्षा परमेश्‍वर की सामर्थ्य से विश्‍वास के द्वारा उस उद्धार के लिये, जो आनेवाले समय में प्रगट होनेवाली है, की जाती है।' क्या यहाँ यह कहा जा रहा है कि प्रभु अंत के दिनों में फिर आयेंगे और अपना उद्धार हम पर पर प्रकट करेंगे?"

मू डाओ ने कुछ समय के लिए इस पर विचार किया, और कहा, "यह संभव है। और तो और, इस उद्धार का प्रचार हमारे सामने लोगों के माध्यम से किया जाएगा।, शायद उसी तरह जैसे प्रभु यीशु के चेलों ने दो हज़ार साल पहले उनके सुसमाचार का प्रचार किया था।"

"वाह, तो इस तरह अपनी कलीसिया से निरंतर चिपके रहना और किसी दूसरे सुसमाचार को स्वीकार नहीं करना, अभ्यास करने का गलत तरीका है और ऐसा करने से, इसकी अत्यधिक संभावना है कि मैं अंत के दिनों में प्रभु के उद्धार पर अपना दरवाजा बंद कर रहा हूँ!" मैंने गम्भीरता से पूछा, "तो अब हमें क्या करना चाहिए?"

"मुझे लगता है कि हमें अंत के दिनों में प्रभु के प्रकटन और कार्य की तलाश करनी चाहिए। जब हम अंत के दिनों में किसी को प्रभु के उद्धार की गवाही देते हुए सुनते हैं, तो हमें जल्द से जल्द इसकी तलाश और जांच करनी चाहिए। प्रभु के आगमन के स्वागत के सन्दर्भ में, यीशु ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा है: 'आधी रात को धूम मची: देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो' (मत्ती 25:6)। 'देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ' (प्रकाशितवाक्य 3:20)। 'मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं' (यूहन्ना 10:27)। इससे हम देख सकते हैं कि हमें परमेश्वर की वाणी को सुनने पर बहुत ध्यान देना चाहिए, सावधानी बरतनी चाहिए और जिस क्षण हम किसी को यह गवाही देते हुए सुनें कि दूल्हा आया है, हमें उससे मिलने के लिए जल्दी चलना चाहिए!" मू डाओ ने बाइबल के पन्ने पलट कर मुझे ये पद दिखाए।

उसे पढ़ते हुए मैंने खुशी से सहमति व्यक्त की, और कहा, "हमें वास्तव में परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि केवल सक्रिय ढंग से खोजना और जांच करना ही परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है! भविष्य में, यदि कोई मुझे प्रभु के लौटने का सुसमाचार सुनाता है, तो मुझे उन बातों से नहीं चिपके रहना चाहिए, जिन्हें पौलुस ने कहा था, और सुसमाचार पर ध्यान देते हुए उस मार्ग की जाँच करनी चाहिये!" उसी वक्त, सूरज काले बादलों के बीच से चमक उठा, और मेरा दिल ऊँची उड़ान भरने लगा।

हमारे 'बाइबल अध्ययन' पृष्ठ पर आपका स्वागत है, जो बाइबल को गहराई से जानने और परमेश्वर की इच्छा को समझने में आपकी मदद कर सकता है।

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