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मेन्‍यू

परमेश्वर की संप्रभुता को जानो और फिर कभी दौलत के गुलाम न बनो

जब मैं छोटा था, तो मेरे पिता मुझसे अक्सर कहा करते थे, "मेरे बेटे, हमारा परिवार संपन्न नहीं है, इसलिए यदि तुम कुछ भी पाना चाहते हो, तो तुम्हें धन कमाना होगा। जब तुम्हारे पास धन होगा, तो तुम्हारे पास सब कुछ होगा!" तब से, मेरा सपना यह था कि मेरे पास बहुत दौलत कमाने वाला एक ऐसा पेशा हो जिससे मेरा परिवार एक अच्छा जीवन जी सके।

जब मैं बड़ा हुआ और मैं स्कूल से निकला, तो मैं एक रेस्तरां में एक प्रशिक्षु और एक रासायनिक कारखाने में एक मालगोदाम कर्मचारी के रूप में काम करने लगा। हालांकि काम से मैं थक जाता था, फिर भी जो धन मैं कमा रहा था उसे धीरे-धीरे बढ़ते देखकर, मुझे लगा कि काम भले कितना भी कठिन हो, यह सब ठीक था।

बाद में, एक रिश्तेदार ने एक कपड़े की कंपनी में नौकरी पाने में मेरी मदद की, और वहाँ बॉस ने मुझसे कहा: "जब तक तुम कड़ी मेहनत करते हैं, तुम जल्द ही एक कार और एक घर खरीद सकोगे।" उसे यह कहते सुनकर, काम के लिए मेरा हौसला बढ़ गया और मैंने अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगा दिया। लेकिन कुछ समय के बीत जाने के बाद भी, मैं अभी तक एक भी अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) प्राप्त करने में कामयाब नहीं हो सका था। एक प्रबंधक ने मुझे चेतावनी देते हुए कहा, "इस समाज में सिर्फ कड़ी मेहनत करने को तैयार होना काफ़ी नहीं है, तुम्हें व्यक्तिगत सम्बन्ध भी विकसित करने होंगे।" प्रबंधक के इन अर्थपूर्ण वचनों को सुनकर, मैं गहरी सोच में पड़ गया: मैं एक अंतर्मुखी हूँ और व्यक्तिगत संबंध बनाने में सबसे कमज़ोर हूँ। लेकिन अगर मैं लोगों के साथ बातचीत करने के अपने तरीक़े को नहीं बदलता हूँ और प्रचलन के अनुरूप नहीं बनता हूँ, तो मैं धन नहीं कमा सकूँगा। इस तरह तो, मेरा परिवार और मैं कभी भी खुश नहीं रह पाएंगे ... मैंने कुछ समय के लिए इस विचार के साथ संघर्ष किया, लेकिन फिर बहुत धन कमाने के लिए, मैंने अपने सहकर्मियों से विभिन्न कंपनियों के प्रबंधकों को उपहार देने और उनके साथ संबंध विकसित करने के बारे में सीखना शुरू किया। मैं अक्सर ग्राहकों को अपने साथ खाने-पीने के लिए बाहर भी ले जाता और उनके साथ कराओके बार में जाया करता था। एक बार, मैं एक ग्राहक को रात के खाने के लिए शहर से बाहर ले गया था, और मैंने इतनी शराब पी ली थी, कि जब मैं अपने होटल में वापस आया, तो मैंने बहुत उल्टी की। मेरे पेट में वाकई दर्द हुआ, लेकिन मेरे दिल में और भी अधिक पीड़ा थी। मैंने सोचा कि धन कमाने के लिए कैसे मुझे अपने आपको बदलना पड़ रहा था, कि कैसे मैं सभी प्रकार की सामाजिक गतिविधियों में भाग ले रहा था, अन्य लोगों के तलवे चाट रहा था, मुझे एक भूमिका निभानी पड़ रही थी, और यहाँ तक कि हर दिन शराब पीनी पड़ती थी, जो मेरे शरीर को नुकसान पहुँचा रही थी। हर सामाजिक समारोह के बाद, मैंने शारीरिक और मानसिक रूप से थकावट महसूस की। आह! मुझे याद है कि मैंने एक सहकर्मी को एक बार मज़ाकिया अंदाज में यह कहते हुए सुना था, "जब हम जवान होते हैं, तो हम धन के लिए अपना जीवन बेच देते हैं, लेकिन जब हम बूढ़े हो जाते हैं, तो हम जीवन खरीदने के लिए धन का उपयोग करते हैं!" इन वचनों के बारे में सोचकर मुझे थोड़ा दुख हुआ। लेकिन मुझे लगा कि धन कमाने के लिए इसे स्वीकार करना ही पड़ेगा ताकि मेरा परिवार एक अच्छा जीवन जी सके!

दो साल बाद, हालाँकि मैंने कुछ पैसे कमा लिए थे और मैं कार और घर दोनों खरीदने में कामयाब रहा था, हर गुज़रते दिन के साथ मुझ पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा था। मैंने अधिक से अधिक उत्पीड़ित महसूस किया, और जब भी कोई असंतोषजनक बात होती, तो मैं परिवार पर अपना आपा खोने से खुद को रोक नहीं पाता था और उन पर अपना गुस्सा निकाला करता था। धीरे-धीरे, मेरे परिवार के साथ मेरा सम्बन्ध अधिक ठंडा होता जा रहा था, हमारे घर में अब कोई हँसी सुनाई नहीं पड़ती थी और मेरा दिल और अधिक खाली महसूस किया करता था। मुझे बहुत पीड़ा और उलझन होती थी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि धन कमाने के अलावा मैं और कर भी क्या सकता था। और इस तरह, मैंने धन की खातिर अपने आपको भागदौड़ और व्यस्तता में बनाये रखा।

परमेश्वर की संप्रभुता को जानो और फिर कभी दौलत के गुलाम न बनो

सितंबर 2009 में एक दिन बारिश हो रही थी और मैं और मेरी पत्नी एक सार्वजनिक नीलामी कार्यक्रम में जाने के लिए शहर से बाहर गए। मैं बड़ी सड़क पर तेजी से गाड़ी चला रहा था कि तभी अचानक गाड़ी के चक्के फिसलने लगे। सहज ही, मैंने ज़ोरों से ब्रेक पर पैर दबाया, लेकिन चूँकि हम बहुत तेजी से जा रहे थे, कार का अगला हिस्सा अचानक ऊपर उठा और हमने सड़क के अवरोध को दे मारा। हम फिर तुरंत ओवरटेकिंग लेन से झूलकर कठोर ढलान पर आ गए। कार के सामने का हिस्सा टूट कर दब गया था, और कार के एक तरफ़ का हिस्सा लगभग 10 मीटर गहरी खाई में था। तब मैं बहुत डर गया था, मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या करना है। मैंने पलटकर अपनी पत्नी को आवाज़ दी। कई बार पुकारने के बाद, उसने आखिरकार कोई जवाब दिया। सौभाग्य से, हम दोनों को कोई नुकसान नहीं हुआ था, और हम इस तरह की एक खतरनाक कार दुर्घटना से बच निकलने में कामयाब रहे!

तीन दिन बाद, मैं खुद को अपनी तनावपूर्ण, व्यस्त नौकरी में वापस झोंक रहा था, लेकिन समय-समय पर मैं उस दुर्घटना को याद किया करता था, और अपने आपसे पूछ लेता था, "अगर मैं मर गया होता, तो चाहे मैंने कितना भी धन कमाया होता, वह किस काम का होता? मेरे पास अब वह सब कुछ है जो मुझे चाहिए, इसलिए क़ायदे से मुझे खुश होना चाहिए। तो मैं बिल्कुल भी खुश क्यों नहीं महसूस कर रहा हूँ, बल्कि इसके विपरीत मुझे लगातार और अधिक पीड़ा होती रहती है? धन कमाने के लिए, मैं दिन भर कंपनी के प्रबंधकों की खुशामद किया करता हूँ, मैं बिना किसी गरिमा के जीता हूँ और ये जटिल व्यक्तिगत रिश्ते मुझे बहुत परेशान करते हैं। मैं आधे सिर के दर्द से पीड़ित रहता हूँ और अक्सर रात को सो नहीं पाता हूँ। डॉक्टर कहते हैं कि यह बहुत संभव है कि मुझे अचानक उच्च रक्तचाप की शिकायत हो जाए, और मुझे खुद की देखभाल के लिए हर दिन चीनी दवा लेनी होगी ... क्या यह वह सुखी जीवन हो सकता है जो मैं हमेशा से चाहता रहा हूँ? मुझे क्या करना चाहिए? मुझे इस दर्द से कौन बचा सकता है?"

अक्तूबर 2010 में, मैंने और मेरी पत्नी ने अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किया, और मैंने परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा: "क्या संसार सचमुच में तुम्हारे आराम करने की जगह है? ... क्या तुम लोग वास्तव में अपने क्षणभंगुर आनंद का उपयोग अपने हृदय के खालीपन को ढकने के लिए कर सकते हो, उस खालीपन को जिसे कि छुपाया नहीं जा सकता है?" ('एक वास्तविक व्यक्ति होने का क्या अर्थ है')। "जब तुम थक जाओ और तुम्हें इस दुनिया की बेरंग उजड़ेपन का कुछ-कुछ अहसास होने लगे, तो तुम हारना मत, रोना मत। द्रष्टा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर, किसी भी समय तुम्हारे आगमन को गले लगा लेगा। वह तुम्हारी बगल में पहरा दे रहा है, तुम्हारे लौट आने का इंतजार कर रहा है। वह उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है जिस दिन तुम अचानक अपनी याददाश्त फिर से पा लोगे: जब तुम्हें यह एहसास होगा कि तुम परमेश्वर से आए हो लेकिन किसी अज्ञात समय में तुमने अपनी दिशा खो दी थी, किसी अज्ञात समय में तुम सड़क पर होश खो बैठे थे, और किसी अज्ञात समय में तुमने एक 'पिता' को पा लिया था; इसके अलावा, जब तुम्हें एहसास होगा कि सर्वशक्तिमान तो हमेशा से ही तुम पर नज़र रखे हुए है, तुम्हारी वापसी के लिए बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहा है" ('सर्वशक्तिमान की आह')परमेश्वर के वचनों ने मुझे एक बहुत गर्मजोशी का एहसास दिया। मैं एक छोटी-सी नाव की तरह था, जिसे विशाल महासागर में उछाल दिया गया हो, और जिसे आखिरकार एक सुरक्षित बंदरगाह मिल गया हो। मैंने पिछले कुछ वर्षों के बारे में सोचा कि हालाँकि मैंने कुछ दौलत कमाई थी और मैं एक उत्कृष्ट भौतिक जीवन जी रहा था, फिर भी मैं बिल्कुल खुश नहीं था। हर दिन, मैं अपने आपको सभी प्रकार की सामाजिक घटनाओं में व्यस्त रखता था, शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाने तक विभिन्न जटिल व्यक्तिगत संबंधों को बनाए रखने के लिए आगे-पीछे भागता रहता था और मुझे लगता था कि मेरे जीवन में न तो कोई लक्ष्य था और न ही कोई दिशा थी। परमेश्वर का धन्यवाद! ठीक तभी जब मैं अपने जीवन के सबसे निचले पायदान पर था, परमेश्वर ने मुझ पर कृपा और दया की और वह मुझे अपने सामने ले आया। परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के माध्यम से, मुझे यह समझ में आया कि परमेश्वर हमेशा मेरे बगल में था, मेरी देखभाल कर रहा था और मेरे साथ-साथ था, और उसकी ओर मेरे मुड़ जाने के इंतज़ार में था। परमेश्वर के वचनों के भीतर, मैंने उसके प्यार की गर्माहट का अनुभव किया और मैंने जीवन के लिए आशा देखी। बाद में, जब भी अवकाश होता, मैं परमेश्वर के सामने खुद को शांत करता और उनके वचनों को पढ़ा करता था।

परमेश्वर के वचन पढ़ना

एक दिन, मैंने परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा: "ऐसी गन्दी जगह में जन्म लेकर, मनुष्य समाज के द्वारा बुरी तरह संक्रमित किया गया है, वह सामंती नैतिकता से प्रभावित किया गया है, और उसे 'उच्च शिक्षा के संस्थानों' में सिखाया गया है। पिछड़ी सोच, भ्रष्ट नैतिकता, जीवन पर मतलबी दृष्टिकोण, जीने के लिए तिरस्कार-योग्य दर्शन, बिल्कुल बेकार अस्तित्व, पतित जीवन शैली और रिवाज—इन सभी चीज़ों ने मनुष्य के हृदय में गंभीर रूप से घुसपैठ कर ली है, और उसकी अंतरात्मा को बुरी तरह खोखला कर दिया है और उस पर गंभीर प्रहार किया है। फलस्वरूप, मनुष्य परमेश्वर से और अधिक दूर हो गया है, और परमेश्वर का और अधिक विरोधी हो गया है" ('एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता में होना है')। "इन चीज़ों के भीतर जिन्हें लोग पूजते हैं, कौन-सी चीज़ परमेश्वर को खुशी पहुंचाती है? इनमें से कोई भी नहीं! जानकारी, हैसियत, प्रसिद्धि और लाभ, धन, ताकत—इनमें से क्या परमेश्वर पसंद करते हैं? उनमें से कौन-सी चीजें सकारात्मक हैं? कौन-सी सत्य के अनुरूप हैं? इनमें से कोई भी नहीं! लेकिन ये चीजें हर किसी में मौजूद हैं और हर किसी के द्वारा पसंद की जाती हैं। पारस्परिक संबंधों और दूसरों के प्रति उनके दृष्टिकोण से यह देखा जा सकता है कि लोग हैसियत, ताकत और धन को बहुत महत्व देते हैं" ("मानव में बेवफ़ाई के तत्व और मानव-प्रकृति जो परमेश्वर के साथ विश्वासघात करती है")। परमेश्वर के वचनों से मैं समझ गया कि मेरा इस तरह दर्द में रहना शैतान की भ्रष्टता, और शैतान के द्वारा मुझे विष दिए जाने के कारण था। जब मैं छोटा था, अपने परिवार से प्रभावित और पोषित होने के कारण, मैंने "पैसा सब कुछ न सही, लेकिन इसके बिना तुम कुछ भी नहीं कर सकते हो", "पहले पैसा", "तुम केवल दौलत के साथ खुश रह सकते हो," जैसी शैतानी जीवन-सूक्तियों को पाया था, और उन्हें मेरे दिल में स्वीकार कर लिया था। मैंने दौलत की बहुत तरफ़दारी की थी और माना था कि मेरे पास धन होने पर ही मैं खुश रह सकता हूँ, और मुझे एक दिन एक अमीर आदमी बनने की उम्मीद थी। इसलिए, जब मैंने समाज में प्रवेश किया, तब मेरा दिल दौलत से भर गया था और मैं तब तक कुछ भी भुगतने को तैयार था, जब तक कि मैं धन कमा सकूँ, इस हद तक कि मैंने बुरी प्रवृत्तियों का अनुसरण किया और अपनी गरिमा को खोकर, ग्राहकों की चापलूसी करने से भी मैं पीछे नहीं हटा था। निजी संबंधों को बनाए रखने के लिए लोगों का मनोरंजन करने और उन्हें उपहार देने जैसे साधनों का मैंने इस्तेमाल किया था और उन्हें खिलाने-पिलाने के लिए बाहर ले जाया करता था, और मुझे तब तक शराब पीनी पड़ती थी, जब तक मैं और न पी सकूँ। मैं मनोरंजन के विभिन्न स्थानों के चक्कर लगाया करता था और मेरे पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए भी कोई समय नहीं था। इसके बजाय, बहुत तनाव में रहने के कारण मैंने उनके साथ अपना आपा खो दिया था, इस सीमा तक कि अपने परिवार के साथ मेरा रिश्ता ही नष्‍ट हो गया था। और फिर भी मैं हमेशा ग्राहकों के साथ कुछ संबंधों को ठीक से नहीं बनाए रखने के बारे में चिंतित रहता था और इस कारण से अक्सर अपनी नींद खो देता था, और मैंने सभी प्रकार की बीमारियों को पैदा कर लिया था, और यह बात उस हद तक पहुंच गई थी जहाँ एक सार्वजनिक नीलामी में शामिल होने की जल्दबाज़ी में मैंने एक कार दुर्घटना कर दी थी और लगभग अपने प्राण खो ही दिए थे। मैंने दौलत की अंधाधुंध वकालत की और उसका पीछा किया और थकावट से अपने शरीर को बर्बाद कर दिया था, और धन की खातिर अपनी सारी गरिमा खो दी थी। मैं दौलत का गुलाम बन गया था, और फिर भी मैंने कभी नहीं समझा था कि इसके बदले में मुझे एक थका हुआ शरीर और इस तरह दर्द से भरा एक दिल मिलेगा! केवल तभी मैं स्पष्ट देख पाया था की वे शैतानी तौर-तरीक़े जिनसे मैं हमेशा चिपके रहा, गलत और बुरे थे, और वे केवल मुझे लगातार अधिक स्वार्थी और धोखेबाज़ ही बना सकते थे। मैं शैतान का चेहरा लिए जी रहा था, और परमेश्वर ने इससे नफ़रत की और इसका तिरस्कार किया।

इसके बाद मैंने परमेश्वर के इन वचनों को पढ़ा: "सभी सृजित प्राणियों के लिए जीवन का स्रोत, चाहे वे रूप या संरचना में कितने ही भिन्न हों, परमेश्वर से आता है। ... परमेश्वर की देखभाल, रखरखाव और भरण-पोषण के बिना मनुष्य वह सब प्राप्त नहीं कर सकता, जो उसे प्राप्त करना था, चाहे वह कितनी भी तत्परता से कोशिश क्यों न करे या कितना भी कठिन संघर्ष क्यों न करे। परमेश्वर से जीवन की आपूर्ति के बिना मनुष्य जीवन के मूल्य और उसकी सार्थकता के बोध को गँवा देता है" ('परमेश्वर मनुष्य के जीवन का स्रोत है')। परमेश्वर के वचनों से मैं समझ गया कि परमेश्वर ही सृष्टिकर्ता है, और वह हर चीज़ जिसकी हमें जीने के लिए आवश्यकता है और जो कुछ भी हमें अपने जीवन में चाहिए, वह सब परमेश्वर के प्रावधान से जुड़ा हुआ है। केवल तभी जब हम परमेश्वर की उपासना करने के लिए उसके सामने आते हैं, जब हम उसकी अपेक्षाओं के अनुसार खोज करते हैं और जब हमारे पास उसकी देखभाल और सुरक्षा होती है, हमारे दिल हर्षित हो सकते हैं, आराम और शांति में हो सकते हैं, और तभी हमारे जीवन मूल्यवान हो सकते हैं। यदि हम शैतान के दर्शन और सूक्तियों से जीते हों और हमारे दिल में परमेश्वर के लिए कोई जगह न हो, तो भले ही हम संघर्ष और प्रयास के माध्यम से धन और भौतिक भोग प्राप्त कर लें, फिर भी हम असहनीय दर्द को महसूस करेंगे क्योंकि हमारे दिल खाली होंगे, और हमारे जीवन में कोई दिशा न होगी। यह मेरी तरह था, जिसने हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में कुछ धन कमाया और बाहर से एक बहुत आरामदायक और खुशहाल जीवन जीता हुआ लग रहा था, फिर भी चूँकि मैं शैतान के ज़हर से जी रहा था, मैं हर दिन शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाता था, और कोई भी भौतिक आनंद या शारीरिक आराम मेरे दिल की गहराइयों के खालीपन और दर्द की जगह नहीं ले सकता था। मैं एक ऐसे क़ैदी की तरह था जो सोने की जंजीरों से जकड़ा हुआ हो। केवल अब मुझे समझ में आया था कि मेरी शून्यता और वेदना इसलिए थी कि मेरे दिल में परमेश्वर के लिए कोई जगह नहीं थी, मैं परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन और प्रावधान से रहित था, शैतान की भ्रमित विचारधाराओं को लेकर मैं अंधे की तरह जी रहा था, और इसलिए भी कि मैंने धन की वकालत की थी, मैं शैतान द्वारा नियंत्रित था और काम में लाया गया था। मैंने तब प्रभु यीशु द्वारा कहे गए इन वचनों को पढ़ा: "आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; फिर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनको खिलाता है। क्या तुम उनसे अधिक मूल्य नहीं रखते?" (मत्ती 6:26)। हाँ, आकाश में पक्षी मुक्त रूप से, परमेश्वर उनके लिए जो भी तैयार करता है, उस पर भरोसा करके जीते हैं और यह हम मनुष्यों के लिए और भी सच है। परमेश्वर हमारे लिए सब कुछ इतनी प्रचुरता में तैयार करता है, और मुझे विश्वास था कि मेरा जीवन कैसा होगा, इसके लिए परमेश्वर ने सब कुछ पूरी तरह से व्यवस्थित कर रखा था। मेरे हर दिन की आय परमेश्वर द्वारा शासित और पूर्वनिर्धारित थी, और मुझे एहसास हुआ कि मुझे अब शैतान के ज़हर से नहीं जीना चाहिए, जैसा कि मैंने पहले किया था। मैं अपने काम और अपने जीवन को परमेश्वर के हाथों में सौंपना चाहता हूँ और परमेश्वर के आयोजन और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करना चाहता हूँ। इस समझ के साथ, मेरे दिल को बहुत अधिक आराम मिला।

अभी अधिक समय नहीं हुआ था कि एक कंपनी ने मुझे फोन किया और कहा कि वे कपड़े के एक थोक का काम देना चाहते हैं और वे इस पर बात-चीत करने के लिए मुझसे मिलना चाहते हैं। जब मैंने यह सुना, तो मैंने मन ही मन सोचा: पहले यह हुआ करता था कि मैं केवल तभी ग्राहकों को प्राप्त करने में सक्षम होता था जब मैं उन्हें आमंत्रित करता, उन्हें उपहार देता और उन्हें खिलने-पिलाने के लिए बाहर ले जाता थे। अब, ग्राहक मेरी तलाश करने की पहल कर रहे हैं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा! लेकिन फिर मैंने सोचा: हालाँकि इस ग्राहक ने मुझे खोजा है और मुझसे मिलना चाहा है, यह ज़रूरी नहीं की वे मुझे यह काम देने के अनुबंध पर हस्ताक्षर कर ही दें! क्या मुझे उन्हें बाहर पीने के लिए ले जाकर उपहार देने चाहिए? यह एक बड़ा काम है, और अगर मैं इसे खो देता हूँ, तो मैं बहुत सारा धन खो दूँगा! लेकिन तब मैंने इसके बारे में फिर से सोचा: परमेश्वर सभी चीज़ों पर संप्रभुता रखता है, और वह ग्राहक इस काम को मुझे देने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करेगा या नहीं, यह बात परमेश्वर पर निर्भर करती है। मैं अब वैसा नहीं हो सकता जैसा पहले था, लोगों को आमंत्रित कर धन कमाने के लिए उपहार नहीं दे सकता। मैं केवल ग्राहकों के साथ सामान्य बातचीत कर सकता हूँ, और बाक़ी सब चीज़ों के लिए प्रकृति अपना काम करेगी। जैसे ही मैंने यह सोचा, मेरे दिल को लगा जैसे कि उसे एक दिशा मिली थी, और इससे बहुत अधिक राहत महसूस हुई।

ग्राहक के साथ मिलने के बाद, मैंने ग्राहक को अपनी कंपनी की स्थिति से परिचित कराया और उनके साथ स्वाभाविक रूप से बातचीत की। अतीत में जब अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का समय आता था, तो मैं हमेशा ख़ुशामदी हो जाता था और गिड़गिड़ाता था, पर अब मैंने ऐसा नहीं किया। अंत में, ग्राहक मेरे साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो गया और उसने मूल्य का तीस प्रतिशत अग्रिम भुगतान करने का वादा किया—यह मेरी अपेक्षा से बहुत अधिक था! इस उद्योग में, ग्राहकों को बाहर ले जाकर शराब पिलाए और उपहार दिए बिना अनुबंध प्राप्त करना बहुत कठिन होता है। मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि मैं इस अनुबंध को प्राप्त करने में सफल हो जाउँगा, और यह वास्तव में परमेश्वर का आशीर्वाद था! इस अनुभव से, मैं और भी आश्वस्त हो गया कि लोग कितना कमा सकते हैं, इस पर परमेश्वर का अंतिम नियंत्रण था, और मैं परमेश्वर के वचनों से जीने के लिए और भी अधिक दृढ़ हो गया, और मैं अब बुरी प्रवृत्तियों का अनुसरण कर ग्राहकों की ख़ुशामद नहीं करता था, और दौलत की खातिर शैतान की जंजीरों और उसके सताने में नहीं फँसता था।

इससे पहले, मैं पूरे दिन सामाजिक कार्यों में खुद को व्यस्त रखता था, और शराबखानों, कराओके बार और डांस क्लब जैसे मनोरंजक स्थानों के चक्कर लगाया करता था। अब, मैं वैसे किसी भी स्थान पर नहीं जाता। बाइबल कहती है, "चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं" (नीतिवचन 22:3)। ये स्थान वासना, प्रलोभन, मोलभाव और व्यभिचार से भरे हुए होते हैं, और ये वो स्थान हैं जहाँ शैतान लोगों को बहकाता और भ्रष्ट करता है; मैं अब बुरी रुझानों का पालन करने, प्रलोभन में डूबने और धन कमाने के लिए परमेश्वर का तिरस्कार करने के लिए तैयार नहीं था। जब मैंने अपना ध्यान परमेश्वर के सामने अपने दिल को शांत करने, उनके वचनों को पढ़ने और सच्चाई पर चिंतन करने पर केंद्रित किया, और मैंने सच्चाई की खोज करने और मेरे सामने आई हर बात में सच्चाई का अभ्यास करने पर ध्यान दिया, तो बिना जाने ही अब मैं चिंता के कारण नींद नहीं खो रहा था, मेरे आधे सिर के दर्द में काफी सुधार हुआ और मेरा 'मूड' सुधर गया। मेरे परिवार ने और दोस्तों ने कहा: "तुम अब एक अलग व्यक्ति की तरह हो। पहले की तुलना में, तुम्हारे बोलने के तरीक़े में, तुम्हारे व्यवहार में एक विशेष अंतर है।" यह सुनकर, मैंने परमेश्वर को हार्दिक धन्यवाद दिया। इस तरह से मेरा बदल जाना, परमेश्वर के वचनों द्वारा मुझ पर प्राप्त किया गया परिणाम था!

बाद में, मैंने अपने माता-पिता को सुसमाचार के बारे में बताया, एवं खोजने और जाँचने की एक अवधि के बाद, उन्होंने अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को खुशी से स्वीकार कर लिया। अब, जब भी हमारे पास समय होता है, हम एक परिवार के रूप में एक साथ बैठकों में जाते हैं और हम परमेश्वर के वचनों की हमारी समझ और ज्ञान पर चर्चा करते हैं। जब हमारे साथ कोई बात हो जाती है, तो हम हमेशा इस बारे में खुलने में सक्षम होते हैं और अपनी समस्याओं के हल के लिए सच्चाई की तलाश करते हैं। मेरा घर हँसी और खुशियों की आवाज़ से भरा होता है, हम आपस में अधिक मेल के साथ रहते हैं और पहले के किसी भी समय से कहीं ज्यादा खुश हैं।

यह मेरा अनुभव है। यद्यपि यह दर्द और उदासी से भरा है, अंत में मैंने शांति और आनंद को हासिल कर लिया। मैं वास्तव में समझ पाया हूँ कि धन का होना वास्तविक खुशी नहीं है। धन हमारे दिल की चिंता, पीड़ा और उसके खालीपन को हल नहीं कर सकता है, शांति या खुशी को यह और भी कम खरीद सकता है। जीवन में सबसे क़ीमती चीज धन या कोई भौतिक वस्तु नहीं है। बल्कि वो यह है कि हम परमेश्वर के सामने आ सकें और उसके उद्धार को स्वीकार करें, सत्य की खोज करें, सभी बातों में उसके वचनों के अनुसार कार्य करें, परमेश्वर पर भरोसा रखकर हम प्रतिदिन की परिस्थितियों का सामना करें, हमारे काम में विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते समय परमेश्वर के वचनों पर भरोसा करें और परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण करें। केवल इसी तरह जीकर हम मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं, चैन और शांति से रह सकते हैं, और केवल यही एक वास्तविक आशीर्वाद है। मेरा दिल परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता से भरा है, और मुझे पता है कि यह परिवर्तन पूरी तरह से परमेश्वर के वचनों के कारण ही था कि मैं, जो दिन भर धन के पीछे भागा करता था, एक ऐसा ईसाई बन गया जो अब प्रसिद्धि और भाग्य के प्रति उदासीन महसूस करता है। परमेश्वर को धन्यवाद हो!

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