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जीवन में एक नया आरम्भिक बिन्दु: धन के बदले जीवन का सौदा करने को अलविदा कहना

हाल ही में मैंने कुछ वाक्यांश पढ़े जो आजकल अत्यधिक प्रसिद्ध हैं: "धन के लिए जियो, धन के लिए मरो, जीवन भर धन के पीछे भागते रहो; धन के कारण हारो, धन के कारण बेवकूफ़ बनो, अपना जीवन जियो और धन के लिए मर जाओ" और "सभी बातों में धन कमाना देखो और अपनी नोटों की गड्डी को मोटा करो।" आज के धन पर केन्द्रित समाज में और अधिक नोट रखना ही वह लक्ष्य है जिसके पीछे लोग आजकल भाग रहे हैं, और "पैसा पहले है," "दुनिया पैसों के इशारों पर नाचती है," और "पैसा ही सब कुछ नहीं है, किन्तु इसके बिना, आप कुछ नहीं कर सकते हैं," जैसी बातें हमारे जीवन के पथ-प्रदर्शन में और भी अधिक मार्गदर्शक ज्योति बन गई हैं। हम इन वक्तव्यों पर प्रश्न नहीं उठाते और हम उन्हें छोड़ते भी नहीं हैं। और स्पष्टत: मैं कोई अपवाद नहीं हूँ!

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धन के बदले जीवन का सौदा करने का मेरा पिछला जीवन
जीवन के इतने दुखों से भरा होने के क्या कारण हैं
उसी पुराने फन्दे में पड़ने के पश्चात ही मैंने जीवन के वास्तविक अर्थ को खोजा
अतीत को अलविदा कहना और एक नए जीवन में प्रवेश करना

धन के बदले जीवन का सौदा करने का मेरा पिछला जीवन

मुझे 19 वर्ष का होना और उत्साह से भरा होना स्पष्ट रूप से याद नहीं है। जितना जल्दी सम्भव हो सके उतने जल्दी धन कमाने के लिए इलेक्ट्रिकल इंस्टालेशन टीम के साथ अपनी शिक्षुता के दौरान कौशल सीखने के लिए मैंने कठोर परिश्रम के साथ पढ़ाई की। अपने परिवार की शुरुआत करने के बाद, मैंने काम में अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा लगा दी और प्रत्येक माह मैं बाकी सारे प्रशिक्षुओं से अधिक कमाई करने लगा। उसके बाद, अपनी आय को 400 युआन प्रतिदिन बनाने के लिए मैंनेदिन-रात काम किया। अक्सर, मुझे रात में एक फोन आता था और ऐसे समय पर मुझे अपना बिस्तर छोड़ना पड़ता था, जब उसमें गर्माहट हो गई होती थी। गर्म मैं अपने दुखद अनुभव को कभी नहीं भूला, जो मुझे जापान में कार्य करने के दौरान हुआ था। मैं एक दिन में बिना छुट्टी लिये कम से कम 12 घण्टे काम करता था; कार्य बहुत ही कठिन था और मैं बहुत अधिक दबाव में रहता था, जिससे मुझे हृदय रोग हो गया और मेरे काफ़ी बाल उड़ गये। लेकिन मैं धन कमाने के लिये ये सारी दुख-तकलीफ़ें सहने को तैयार था। पैसा कमाने के लिये मैं मशीन की तरह काम में जुटा रहा। दो वर्ष पश्चात, ताकि मैं और धन कमा सकूँ, मैं अमेरिका चला गया। मैंने कुछ साल पूरी मेहनत से एक रेस्तरां में एक बावर्ची से लेकर तरह-तरह के काम किये, मुझे आपको उन सारी कठिनाइयों के बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है, जिनसे मैं हो कर गुजरा था। लेकिन जब मैंने अपने हाथ में डॉलरों की गड्डी धीरे-धीरे मोटी होती देखी, तो मैंने इस धन को कमाने में जितना परिश्रम किया था, मैं वह सारा परिश्रम भूल गया था।

धन के बदले जीवन का सौदा करने को अलविदा कहना

उसके बाद, क्योंकि मैं लम्बे समय से बहुत अधिक परिश्रम कर रहा था, मेरी देह ने मुझे एक लाल बत्ती वाली चेतावनी दे दी, मुझे उदर-सम्बन्धी भयंकर समस्याएँ हो गईं, सर्विकल स्पोंडिलोसिस, रीढ़ की हड्डी में पीड़ा और मेरे कंधों के जोड़ों में गठिया रोग हो गये। जब मेरे पेट में दर्द होना आरम्भ हो गया तो र मेरी पूरी देह में ठंडे पसीने आ आने लगे और मैं पूरी तरह से शक्तिहीन हो गया। जब मेरा सर्विकल स्पोंडिलोसिस बहुत बढ़ गया, तो मेरे मस्तिष्क में पर्याप्त रक्त नहीं जा पा रहा था और मैं अक्सर बीमार रहने लगा, मुझे चक्कर आने लगे... और इसलिए मुझे प्राय: अस्पताल भागना पड़ता था। मेरा सारा पैसा मेरा कमज़ोर शरीर की भेंट चढ़ रहा था। मैंने अचानक बहुत ही दुखी रहने लगा: मैं दस साल से भी अधिक वर्षों तक कठिन परिश्रम करता रहा और अपनी ज़िंदगी के बारे में न सोचकर, सिर्फ़ पैसे जमा करने में लगा रहा, लेकिन इस चक्कर में मेरा स्वास्थ्य बर्बाद होता चला गया था-मैं इतना परेशान क्यों था? मैं अपना आधा जीवन धन के के बदले में बर्बाद कर चुका था और अब मैं अपने धन का प्रयोग अपने जीवन को वापस लाने के लिए कर रहा था। क्या यह सब इतने मूल्य का था?

मैंने विचार किया और तब मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि जीवन के मार्ग में आने वाले दृश्यों का आनन्द लेने के लिए मेरे पास समय ही नहीं था और मेरा आधा जीवन खामोशी के साथ बीत चुका था। जब मैंने सावधानीपूर्वक धन के लिए परिश्रम करने में बिताए तमाम दिनों की गणना की, तो बेबसी के एक अहसास ने मेरे हृदय को भर दिया: क्या ऐसा हो सकता है कि मनुष्य का जीवन बस एक मशीन की तरह हो, जो उसे निगल जाता है, बस धन कमाने के लिए जीना और फिर धन कमाने के लिए ही मर जाना? जीवन दुखों से इतना भरा हुआ क्यों हैं?

जीवन के इतने दुखों से भरा होने के क्या कारण हैं

एक दिन, मुझे परमेश्वर के वचनों को पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और मुझे वह उत्तर मिल गया जिसे मैं खोज रहा था।

परमेश्वर कहते हैं, "'पैसा दुनिया को नचाता है' यह शैतान का एक फ़लसफ़ा है और यह संपूर्ण मानवजाति में, हर मानव-समाज में प्रचलित है। तुम कह सकते हो कि यह एक रुझान है, क्योंकि यह हर एक व्यक्ति के हृदय में बैठा दिया गया है। ... तो शैतान द्वारा मनुष्य को भ्रष्ट करने के लिए इस रुझान का उपयोग किए जाने के बाद, यह उनमें कैसे अभिव्यक्त होता है? क्या तुम लोगों को लगता है कि बिना पैसे के तुम लोग इस दुनिया में जीवित नहीं रह सकते, कि पैसे के बिना एक दिन जीना भी असंभव होगा? लोगों की हैसियत इस बात पर निर्भर करती है कि उनके पास कितना पैसा है, और वे उतना ही सम्मान पाते हैं। गरीबों की कमर शर्म से झुक जाती है, जबकि धनी अपनी ऊँची हैसियत का मज़ा लेते हैं। वे ऊँचे और गर्व से खड़े होते हैं, ज़ोर से बोलते हैं और अंहकार से जीते हैं। यह कहावत और रुझान लोगों के लिए क्या लाता है? क्या यह सच नहीं है कि पैसे की खोज में लोग कुछ भी बलिदान कर सकते हैं? ... शैतान हर समय और हर जगह मनुष्य को भ्रष्ट करता है। शैतान मनुष्य के लिए इस भ्रष्टता से बचना असंभव बना देता है और वह इसके सामने मनुष्य को असहाय बना देता है। शैतान अपने विचारों, अपने दृष्टिकोणों और उससे आने वाली दुष्ट चीज़ों को तुमसे ऐसी परिस्थितियों में स्वीकार करवाता है, जहाँ तुम अज्ञानता में होते हो, और जब तुम्हें इस बात का पता नहीं चलता कि तुम्हारे साथ क्या हो रहा है। लोग इन चीज़ों को स्वीकार कर लेते हैं और उन पर कोई आपत्ति नहीं करते। वे इन चीज़ों को सँजोते हैं और एक खजाने की तरह सँभाले रखते हैं, वे इन चीज़ों को अपने साथ जोड़-तोड़ करने देते हैं और उन्हें अपने साथ खिलवाड़ करने देते हैं; और इस तरह शैतान का मनुष्य को भ्रष्ट करना और अधिक गहरा होता जाता है।"

परमेश्वर के वचनों ने मुझे समझाया कि विचारधाराएँ और विचार जैसे कि "पैसा पहले है," "पैसा ही सब कुछ नहीं है, किन्तु इसके बिना, आप कुछ नहीं कर सकते हैं," और "एक व्यक्‍ति पैसों के लिए मर जाता है; एक पक्षी भोजन के लिए मर जाता है," शैतान से आते हैं। शैतान उन्हें हमें धोखा देने और हमें बाँधने के लिए और हमें यह सोचने के लिए प्रयोग करता है कि धन होना ही सबकुछ होना है और यह कि धन होना ही लोगों का हमारी ओर देखना है और यह कि धन होना ही एक प्रभावशाली, रोबदार जीवन जीना है और बस उसी प्रकार का जीवन मूल्यवान और सार्थक जीवन है। शैतान की ये निरर्थक विचारधाराएँ हमारा जीवन बन चुकी हैं और हम धन के पीछे भागते-भागते कोई भी कीमत चुकाने से गुरेज़ नहीं करते। हिचकिचाने तक पहुँच चुके यह विचार करते हुए कि मैं किस प्रकार शैतान की इन विचारधाराओं और विचारों के अधीन था, धन कमाने के लिए मैंने दिन और रात कार्य किया, मैं अनियमित समय पर खाता-पीता था, मेरे लिए रात को शांतिपूर्ण नींद ले पाना कठिन हो गया था और मेरी कमज़ोर होता चला गया, लेकिन मैंने उफ़्फ़ तक नहीं की। बाद में, विचार करते हुए कि धन ही जीवन है, मैंने अपना परिवार छोड़ दिया और जापान और अमेरिका चला गया, और अधिक धन कमाने के लिए अनेक वर्ष कार्य किया। यद्यपि मैंने और अधिक धन कम लिया, लेकिन मैं एक के बाद एक रोग जैसे हृदय रोग, पेट और रीढ़ की हड्डी की बीमारियों से इस हद तक पीड़ित हो गया था कि मैं अपना हाथ तक सीधा नहीं कर पाता था, मैं पीड़ा में जी रहा था। परमेश्वर के वचनों से ही मुझे यह समझ में आया कि मुझ पर यह सब शैतान की गलत विचारधाराओं और गलत धारणाओं के द्वारा आँखों में धूल झोंकने के कारण आया था; मुझे धन के लिए मेरी अभिलाषा के द्वारा अनिच्छुक रीति से नियन्त्रित किया और चलाया जा रहा था और इसने मुझे धन के एक दास और एक बलि में परिणत कर दिया था! यह अनुभूति होने के पश्चात मुझे यह महसूस हुआ कि मुझे परमेश्वर के पास लौट जाना चाहिए और अब और शैतान की विचारधाराओं और विचारों के द्वारा जीवन नहीं जीना चाहिए, और अब मुझे धन का गुलाम नहीं बने रहना चाहिये। उसके पश्चात मैंने सामान्य पारियों में कार्य करना आरम्भ कर दिया और मैंने अब बेहिसाब काम नहीं करता था।

उसी पुराने फन्दे में पड़ने के पश्चात ही मैंने जीवन के वास्तविक अर्थ को खोजा

मुझे शैतान के द्वारा बहुत अधिक धोखा दिया गया था, परन्तु धन प्रसिद्धि और भाग्य ने पहले ही मेरे हृदय में जड़ें जमा ली थी-इन्हें उखाड़ फेंकना इतना सरल नहीं था। जब मैंने अपने बॉस को यह कहते हुए सुना कि उनकी कम्पनी पन्द्रह वर्षों से व्यापार में रही है और 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर कमा चुकी है और उसने हाल ही में भव्य विला खरीदा है, तो मेरा हृदय बहुत देर तक व्याकुल रहा। मैंने विचार किया, हाँ, जीवन जीने के लिए है। क्या कुछ हासिल किये बिना जीना भी कोई जीवन जीना है? अपना रेस्तरां खोलना मेरा एक सपना था और यदि मेरा अपना रेस्तरां होता, तो मुझे कभी कोई दुबारा नीची नज़रों से न देखता। इस बात को समझे बिना ही मैंने धन कमाने के लिए फिर से कड़ी मेहनत करनी शुरू कर दी और धन के बदले फिर से अपनी ज़िंदगी को दाव पर लगाने वाली लीक पर चलने लगा। कलीसिया की सभाओं में उपस्थित होने के स्थान पर मैं और अधिक कार्य करने लगा ज्यादा समय नहीं बीता था और बीमारी ने मुझे फिर से पकड़ लिया और मेरा हृदय रोग फिर से बढ़ गया और यह वास्तव में बहुत अधिक पीड़ादायक था।

जब मैं पीड़ा में था, तो परमेश्वर ने एक बार फिर से मुझे बचाने के लिए हाथ बढ़ाया। कलीसिया की एक बहन ने मुझे सौभाग्य और दुर्भाग्य एक फ़िल्म भेजी। मैंने नायिका को धन की खोज में कार्य के लिए जापान जाते हुए देखा, वह अपने स्वास्थ्य के प्रति असावधान थी, लेकिन वह धन नहीं कमा पाई, बल्कि अस्पताल जा पहुँची। मैंने आह भरी और विचार किया कि यह तो वास्तव में मेरे जीवन का ही एक वास्तविक चित्रण है! जैसे कि चलचित्र में परमेश्वर के वचन से एक अंश में लिखा है, "लोग अपना जीवन धन-दौलत और प्रसिद्धि का पीछा करते हुए बिता देते हैं; वे इन तिनकों को यह सोचकर कसकर पकड़े रहते हैं, कि केवल ये ही उनके जीवन का सहारा हैं, मानो कि उनके होने से वे निरंतर जीवित रह सकते हैं, और मृत्यु से बच सकते हैं। परन्तु जब मृत्यु उनके सामने खड़ी होती है, केवल तभी उन्हें समझ आता है कि ये चीज़ें उनकी पहुँच से कितनी दूर हैं, मृत्यु के सामने वे कितने कमज़ोर हैं, वे कितनी आसानी से बिखर जाते हैं, वे कितने एकाकी और असहाय हैं, और वे कहीं से सहायता नही माँग सकते हैं। उन्हें समझ आ जाता है कि जीवन को धन-दौलत और प्रसिद्धि से नहीं खरीदा जा सकता है, कि कोई व्यक्ति चाहे कितना ही धनी क्यों न हो, उसका पद कितना ही ऊँचा क्यों न हो, मृत्यु के सामने सभी समान रूप से कंगाल और महत्वहीन हैं। उन्हें समझ आ जाता है कि धन-दौलत से जीवन नहीं खरीदा जा सकता है, प्रसिद्धि मृत्यु को नहीं मिटा सकती है, न तो धन-दौलत और न ही प्रसिद्धि किसी व्यक्ति के जीवन को एक मिनट, या एक पल के लिए भी बढ़ा सकती है।"

उस नायिका को आई समझ ने मुझे बेहद प्रभावित किया, जैसे कि यह मेरा ही व्यक्तिगत अनुभव हो: "परमेश्वर के वचनों ने मुझे और अधिक देखने लायक बनाया कि शैतान पैसे और प्रतिष्ठा का इस्तेमाल इंसान को बांधे रखने और नियंत्रित करने के लिए करता है। बहुत लोग पैसे और प्रतिष्ठा के लिए आपस में लड़ते और जंग करते हैं, और अपने विवेक और समझ और अपने मनुष्य की गरिमा को खो देते हैं, और कुछ तो स्वयं अपना जीवन ही बर्बाद कर बैठते हैं। लेकिन हम शैतान की तरकीबों को नहीं समझ पाते, और हम यह भी नहीं देख पाते कि पैसा और प्रतिष्ठा लोगों को नुकसान पहुँचाने का शैतान का एक तरीका है, इसी कारण हम भंवर में फँसते चले जाते हैं जिससे हम खुद बाहर नहीं आ सकते, और ख़ुद के बावजूद शैतान द्वारा मूर्ख बनाये जाते और नुकसान पाते हैं।" हाँ वास्तव में। क्योंकि मैं शैतान के धूर्ततापूर्ण षड्यंत्रों और भ्रामक साधनों को पूरी तरह से समझने में असमर्थ था, मैंने सोचा मैं न चाहते हुए भी शैतान के हाथों का खिलौना बन सकता हूँ और उसके द्वारा हानि उठा सकता हूँ। मुझे अपनी ज़िंदगी का वह आधा हिस्सा याद आया जो मैंने शैतान द्वारा धोखा खाते, पूरे हृदय से धन के पीछे भागते हुए बिताया था, और मैं और धन कमाने के लिए अपने स्वास्थ्य की बलि चढ़ाने तक को तैयार था। फिर भी मैं, जो अपने जीवन के यौवन में था, अब निरन्तर बीमार और हमेशा दवाएँ ले रहा था और ऐसी पीड़ा में जीवन जी रहा था-इस सब का क्या अर्थ था? क्या अधिक महत्वपूर्ण था, धन या जीवन? अचानक मैंने एक पुराने मित्र के बारे में सोचा, जिसने कैंसर के अन्तिम चरण का निदान होने से पहले तक अमेरिका में 8 वर्ष कार्य किया था। वह बस और तीन महीने जीवित रहा और उसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। किसी और को भी, जिसने अमेरिका में 10 वर्ष से अधिक कार्य किया और बहुत धन कमाया था, एक असाध्य रोग लग गया था और उसकी मौत हो गई, उसका भरा-पूरा परिवार पीछे छूट गया। ये सारी भयानक बातें एक तथ्य को प्रकट करती हैं: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी का औहदा कितना भी ऊँचा हो या वे कितने भी धनी क्यों न हों, वे अपने जीवन को नहीं बढ़ा सकते और जब उनकी मृत्यु होती है, तो वे अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकते! जैसा कि प्रभु यीशु ने कहा है, "यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्‍त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? मनुष्य अपने प्राण के बदले क्या देगा?" (मरकुस 8:36-37)। यदि मैं शैतान के कपटी षड्यंत्रों को नहीं देख पाया और उसी पुराने मार्ग पर चलना जारी रखा, धन के पीछे भागता रहा और नोटों की गड्डी को और मोटा करने का प्रयत्न करता रहा, धन के बदले अपने जीवन का सौदा करता रहा, तो मेरा अन्त दु:खद ही होगा!

अतीत को अलविदा कहना और एक नए जीवन में प्रवेश करना

मैंने परमेश्वर के और वचनों को देखा, "अपने आपको इस स्थिति से मुक्त करने का एक बहुत ही आसान तरीका है जो है जीवन जीने के अपने पुराने तरीके को विदा कहना; जीवन में अपने पुराने लक्ष्यों को अलविदा कहना; अपनी पुरानी जीवनशैली, जीवन को देखने के दृष्टिकोण, लक्ष्यों, इच्छाओं एवं आदर्शों को सारांशित करना, उनका विश्लेषण करना, और उसके बाद मनुष्य के लिए परमेश्वर की इच्छा और माँग के साथ उनकी तुलना करना, और देखना कि उनमें से कोई परमेश्वर की इच्छा और माँग के अनुकूल है या नहीं, उनमें से कोई जीवन के सही मूल्य प्रदान करता है या नहीं, यह व्यक्ति को सत्य को अच्छी तरह से समझने की दिशा में ले जाता है या नहीं, और उसे मानवता और मनुष्य की सदृशता के साथ जीवन जीने देता है या नहीं। ... जब तुम इस बात को समझ लेते हो, उसके पश्चात्, तुम्हारा काम है जीवन के अपने पुराने दृष्टिकोण को अपने से अलग करना, अलग-अलग तरह के जालों से दूर रहना, परमेश्वर को तुम्हारे जीवन को अपने हाथ में लेने देना और तुम्हारे लिए व्यवस्थाएं करने देना; तुम्हारा काम है केवल परमेश्वर के आयोजनों और मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करने का प्रयास करना, अपनी कोई निजी पसंद मत रखना, और एक ऐसा इंसान बनना जो परमेश्वर की आराधना करता है।"

परमेश्वर के वचनों ने मुझे अभ्यास करने के लिए एक स्पष्ट मार्ग दिखाया। यदि मैं शैतान के दुष्ट प्रलोभनों से दूर रहकर धन के लिए अपने जीवन का सौदा करने वाले अपने पुराने जीवन को अलविदा कहना चाहता था, तो मुझे ज़िंदगी में गलत चीज़ों के पीछे भागना बंद करना था और शैतान की भ्रांतियों में जीवन नहीं जीना था, बल्कि मुझे एक इंसान की तरह आचरण करते हुए, परमेश्वर के वचनों की ज्योति में आगे बढ़ना था! यद्यपि मैंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों से जाना कि जीवन के प्रति मेरा धन को ही जीवन समझने वाला पहला का दृष्टिकोण, वास्तव में शैतान के हाथों खेलने और ख़ुद को हानि पहुँचाने वाला रहा था। शैतान ने मुझे एक जंजीर से बाँध रखा था, एक खालीपन था जो पलक झपकते ही चला गया था। मेरे पास जो समय बचा था उस समय में मैंने सोचा कि मैं अपने आप को अब और शैतान के कपटी षड्यंत्रों में पड़ने नहीं दूँगा। मुझे परमेश्वर के द्वारा बनाया गया है और मुझे परमेश्वर की आराधना करनी चाहिए और परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए और परमेश्वर के प्रभुत्व और मार्गदर्शन में जीवन जीना चाहिए मात्र वही वास्तविक भविष्य और सच्चे मूल्य वाला जीवन है।

उसके तुरंत बाद एक दिन, मेरे बॉस की पत्नी ने मुझे बुलाकर रेस्तरां में जाने और सहायता करने के लिए कहा। परन्तु मैंने उन तमाम दिनों के बारे में सोचा, जब मैंने धन के लिए अपनी हड्डियों को तोड़ देने वाला काम किया था। मैंने उनकी विनती मानने से इन्कार कर दिया, क्योंकि मैंने अपने शेष बचे जीवन के लिए पहले ही एक योजना बना ली थी: ज्यादा आराम करना और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना; सभाओं या अपने कर्तव्यों को पूरा करने में कोई विलम्ब न करना और एक ऐसी नौकरी प्राप्त करना जिसे मैं सर्वोत्तम रीति से कर सकता था! अपने शेष बचे जीवन में मैं मात्र परमेश्वर को ही स्वयं पर प्रभुत्व दूँगा!

लेखक निम्नलिखित बातें बताना चाहता है:

मैं धन के पीछे भागना छोड़ कर और परमेश्वर का उद्धार पा कर आनन्दित हूँ।

मैं जीवन में अपने पास बचे समय को संजोकर रखना, परमेश्वर का अनुसरण करना और परमेश्वर की आराधना करना चाहता हूँ।

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