ऑनलाइन बैठक

मेन्‍यू

होशे 12

1एप्रैम पानी पीटता और पुरवाई का पीछा करता रहता है; वह लगातार झूठ और उत्पात को बढ़ाता रहता है; वे अश्शूर के साथ वाचा बाँधते और मिस्र में तेल भेजते हैं।

2यहूदा के साथ भी यहोवा का मुकद्दमा है, और वह याकूब को उसके चालचलन के अनुसार दण्ड देगा; उसके कामों के अनुसार वह उसको बदला देगा।

3अपनी माता की कोख ही में उसने अपने भाई को अड़ंगा मारा, और बड़ा होकर वह परमेश्‍वर के साथ लड़ा।

4वह दूत से लड़ा, और जीत भी गया, वह रोया और उसने गिड़गिड़ाकर विनती की। बेतेल में वह उसको मिला, और वहीं उसने हम से बातें की।

5यहोवा, सेनाओं का परमेश्‍वर, जिसका स्मरण यहोवा नाम से होता है।

6इसलिए तू अपने परमेश्‍वर की ओर फिर; कृपा और न्याय के काम करता रह, और अपने परमेश्‍वर की बाट निरन्तर जोहता रह।

7वह व्यापारी है, और उसके हाथ में छल का तराजू है; अंधेर करना ही उसको भाता है।

8एप्रैम कहता है, "मैं धनी हो गया, मैंने सम्पत्ति प्राप्त की है; मेरे किसी काम में ऐसा अधर्म नहीं पाया गया जिससे पाप लगे।" (प्रका. 3:17)

9मैं यहोवा, मिस्र देश ही से तेरा परमेश्‍वर हूँ*; मैं फिर तुझे तम्बुओं में ऐसा बसाऊँगा जैसा नियत पर्व के दिनों में हुआ करता है।

10मैंने भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें की, और बार-बार दर्शन देता रहा; और भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा दृष्टान्त कहता आया हूँ।

11क्या गिलाद कुकर्मी नहीं? वे पूरे छली हो गए हैं। गिलगाल में बैल बलि किए जाते हैं, वरन् उनकी वेदियाँ उन ढेरों के समान हैं जो खेत की रेघारियों के पास हों।

12याकूब अराम के मैदान में भाग गया था; वहाँ इस्राएल ने एक पत्‍नी के लिये सेवा की, और पत्‍नी के लिये वह चरवाही करता था।

13एक भविष्यद्वक्ता के द्वारा यहोवा इस्राएल को मिस्र से निकाल ले आया, और भविष्यद्वक्ता ही के द्वारा उसकी रक्षा हुई।

14एप्रैम ने अत्यन्त रिस दिलाई है; इसलिए उसका किया हुआ खून उसी के ऊपर बना रहेगा, और उसने अपने परमेश्‍वर के नाम में जो बट्टा लगाया है, वह उसी को लौटाया जाएगा।

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