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Hindi Christian Movie | इंतज़ार था जिन ख़ुशियों का | खुशी क्या है

858,121 05/06/2021

डिंग रुइलिन और उसका पति एक कारोबार शुरू करने और उसे चलाने के लिये दिन-रात मेहनत करते हैं ताकि पैसा कमाकर, एक अच्छी ज़िंदगी जी सकें। लेकिन सीसीपी सरकार के शोषण और बुरे बर्ताव के चलते, वे कर्ज़ में बुरी तरह डूब जाते हैं। विदेश जाकर काम करने के अलावा, उनके पास और कोई विकल्प नहीं बचता। अधिक पैसा कमाने की गरज़ से, डिंग रुइलिन दो-दो काम पकड़ लेती है। काम के भारी बोझ और आस-पास के लोगों की बेरुख़ी से, उसे पीड़ा और पैसा कमाने की बेबसी का एहसास होता है। अपनी पीड़ा और उलझन के मध्य, डिंग रुइलिन की मुलाकात अपनी हाई स्कूल की एक सहपाठी लिन झिशिन से हो जाती है। बातचीत के दौरान डिंग रुइलिन को पता चलता है कि परमेश्वर में आस्था रखने की वजह से लिन झिशिन में बहुत-सी बातों की समझ आ गई है। परमेश्वर की उपस्थिति में, उसे आध्यात्मिक शांति और आनंद प्राप्त हो रहा है। वह सुकून और सहजता का जीवन जी रही है। इससे डिंग रुइलिन के मन में भी परमेश्वर में विश्वास रखने की भावना प्रबल होती है। जल्दी-जल्दी और अधिक पैसा कमाने के विचार से, डिंग रुइलिन और उसका पति एक रेस्टॉरेंट का अधिग्रहण कर लेते हैं। लेकिन लगातार काम और थकान की वजह से, डिंग रुइलिन एक गंभीर बीमारी का शिकार हो जाती है। उसे लकवा होने का ख़तरा बढ़ जाता है। बीमारी की यंत्रणा के दौरान डिंग रुइलिन को आत्म-चिंतन का अवसर मिलता है। लोग किसलिये जीते हैं? क्या महज़ धन-दौलत और शोहरत के लिये जीवन गँवा देना सही है? क्या धन से इंसान अपने ख़ालीपन और दुखों से छुटकारा पा सकता है? क्या धन इंसान को मौत के मुँह में जाने से बचा सकता है? परमेश्वर के वचनों पर बहन लिन झिशिन की सहभागिता से, डिंग रुइलिन को जीवन के बारे में इन प्रश्नों के उत्तर साफ़ तौर पर मिलने लगते हैं। उसमें यह भी समझ आती है कि वह कौन-सी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है जिसका इंसान को अनुसरण करना चाहिये। अंतत:, उसे आध्यात्मिक मुक्ति मिल जाती है। परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से, आख़िरकार डिंग रुइलिन जीवन में आनंद की खोज कर लेती है...

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