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परमेश्वर के आशीर्वाद के बारे में बाइबल के पद

हर कोई परमेश्वर के आशीर्वाद के लिए तरसता है, लेकिन परमेश्वर से वास्तविक आशीर्वाद क्या हैं? परमेश्वर किस तरह के लोगों को आशीर्वाद देते हैं? हम परमेश्वर का आशीर्वाद कैसे प्राप्त कर सकते हैं? परमेश्वर के आशीर्वाद से सम्बंधित कृपया इन बाईबल के पद पढ़ें जो हमें परमेश्वर का आशीर्वाद जानने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का तरीका खोजने के लिए मार्गदर्शन करेंगे।

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1. परमेश्वर की आशीष क्या है?

परमेश्वर के आशीष की बात करें तो, कई लोग मानते हैं कि परमेश्वर की आशीष का मतलब है कि भोजन या कपड़े के बारे में चिंता किये बिना, वे एक सुरक्षित और संरक्षित जीवन जी सकते हैं, खुशी से रह सकते हैं, एक अत्युत्तम पारिवारिक जीवन जी सकते हैं। दूसरों को लगता है कि परमेश्वर की आशीष का मतलब है कि प्रभु के लिए काम करने और उपदेश देने हेतु सभी प्रकार के गुण पाना। क्या केवल ये ही परमेश्वर की आशीष हैं? यदि परीक्षण या अप्रिय बातें हमारे सामने आती हैं, तो क्या वे परमेश्वर की आशीष हैं? निम्नलिखित बाइबल के पद और संबंधित लेख आपको परमेश्वर की आशीष की बेहतर समझ पाने में आपकी मदद करेंगे।

"धन्य है वह मनुष्य, जो परीक्षा में स्थिर रहता है; क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का वह मुकुट पाएगा, जिसकी प्रतिज्ञा प्रभु ने अपने प्रेम करनेवालों को दी है" (याकूब 1:12)

"हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जानकर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्‍पन्‍न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे" (याकूब 1:2-4)

"तूने मेरे धीरज के वचन को थामा है, इसलिए मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूँगा, जो पृथ्वी पर रहनेवालों के परखने के लिये सारे संसार पर आनेवाला है" (प्रकाशितवाक्य 3:10)

"जिसके कान हों, वह सुन ले कि पवित्र आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है: जो जय पाए, मैं उसे उस जीवन के पेड़ में से जो परमेश्‍वर के स्वर्गलोक में है, फल खाने को दूँगा" (प्रकाशितवाक्य 2:7)

"जो जय पाए, उसे इसी प्रकार श्वेत वस्त्र पहनाया जाएगा, और मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूँगा, पर उसका नाम अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के सामने मान लूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:5)

"देख, परमेश्‍वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है; वह उनके साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्‍वर आप उनके साथ रहेगा; और उनका परमेश्‍वर होगा। और वह उनकी आँखों से सब आँसू पोंछ डालेगा; और इसके बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:3-4)

"और जिसकी उसने हम से प्रतिज्ञा की वह अनन्त जीवन है" (1 यूहन्ना 2:25)

2. परमेश्वर किस तरह के लोगों को आशीष देते हैं?

परमेश्वर के आशीष के लिए एक सिद्धांत है। परमेश्वर किस तरह के लोगों को आशीष देते हैं? उनकी आशीष प्राप्त करने के मानकों को जानने के लिए निम्नलिखित बाइबल पदों को पढ़ें।.

"क्योंकि तू धर्मी को आशीष देगा; हे यहोवा, तू उसको ढाल के समान अपनी कृपा से घेरे रहेगा" (भजन संहिता 5:12)

"यहोवा की यह वाणी है, कि मैं अपनी ही यह शपथ खाता हूँ कि तूने जो यह काम किया है कि अपने पुत्र, वरन् अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस कारण मैं निश्चय तुझे आशीष दूँगा; और निश्चय तेरे वंश को आकाश के तारागण, और समुद्र तट के रेतकणों के समान अनगिनत करूँगा, और तेरा वंश अपने शत्रुओं के नगरों का अधिकारी होगा; और पृथ्वी की सारी जातियाँ अपने को तेरे वंश के कारण धन्य मानेंगी: क्योंकि तूने मेरी बात मानी है" (उत्पत्ति 22:16-18)

"और यहोवा ने अय्यूब के बाद के दिनों में उसको पहले के दिनों से अधिक आशीष दी; और उसके चौदह हजार भेड़-बकरियाँ, छः हजार ऊँट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियाँ हो गई" (अय्यूब 42:12)

"और मैं भी तुझ से कहता हूँ, कि तू पतरस है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ दूँगा: और जो कुछ तू पृथ्वी पर बाँधेगा, वह स्वर्ग में बँधेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा" (मत्ती 16:18-19)

"जब वह ये बातें कह ही रहा था तो भीड़ में से किसी स्त्री ने ऊँचे शब्द से कहा, 'धन्य है वह गर्भ जिसमें तू रहा और वे स्तन, जो तूने चूसे।' उसने कहा, 'हाँ; परन्तु धन्य वे हैं, जो परमेश्‍वर का वचन सुनते और मानते हैं'" (लूका 11:27-28)

"तूने तो मुझे देखकर विश्वास किया है? धन्य हैं वे जिन्होंने बिना देखे विश्वास किया" (यूहन्ना 20:29)

"धन्य वे हैं, जो अपने वस्त्र धो लेते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन के पेड़ के पास आने का अधिकार मिलेगा, और वे फाटकों से होकर नगर में प्रवेश करेंगे" (प्रकाशितवाक्य 22:14)

"तब स्वर्गदूत ने मुझसे कहा, 'यह लिख, कि धन्य वे हैं, जो मेम्‍ने के विवाह के भोज में बुलाए गए हैं।' फिर उसने मुझसे कहा, 'ये वचन परमेश्‍वर के सत्य वचन हैं'" (प्रकाशितवाक्य 19:9)

"फिर मैंने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्‍ना सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौवालीस हजार जन हैं, जिनके माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है। ...ये वे हैं, जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं, कि जहाँ कहीं मेम्‍ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर और मेम्‍ने के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। और उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:1, 4-5)

3. हम परमेश्वर की आशीष कैसे प्राप्त कर सकते हैं?

हम परमेश्वर की आशीष कैसे प्राप्त कर सकते हैं? बाइबल से यह देखा जा सकता है कि केवल अपने विश्वास में, परमेश्वर से प्रेम करने और परमेश्वर की आज्ञा मानने से ही हम उनकी आशीष पा सकते हैं। केवल परमेश्वर के मार्ग—परमेश्वर का भय मानना और बुराई से दूर रहना¬—का अनुसरण करने से ही हम उनकी आशीष पा सकते हैं। जब प्रभु अंत के दिनों में लौटते हैं, तो केवल वे ही जो परमेश्वर की वाणी को पहचानते हैं और मेम्ने के पदचिह्नों का ध्यान से अनुसरण करते हैं, उन्हें ही परमेश्वर की अधिक आशीष प्राप्त होगी। निम्न बाइबल पदों को पढ़ें, और आपको परमेश्वर की आशीष प्राप्त करने का मार्ग मिलेगा।

"क्या छोटे क्या बड़े जितने यहोवा के डरवैये हैं, वह उन्हें आशीष देगा" (भजन संहिता 115:13)

"तू परमेश्‍वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएँ सारी व्यवस्था एवं भविष्यद्वक्ताओं का आधार है" (मत्ती 22:37-40)

"परन्तु तुम्हारी बात हाँ की हाँ, या नहीं की नहीं हो; क्योंकि जो कुछ इससे अधिक होता है वह बुराई से होता है" (मत्ती 5:37)

"परमेश्‍वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्चाई से आराधना करें" (यूहन्ना 4:24)

"सबसे मेल मिलाप रखो, और उस पवित्रता के खोजी हो जिसके बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा" (इब्रानियों 12:14)

"मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं। और मैं उन्हें अनन्त जीवन देता हूँ, और वे कभी नाश नहीं होंगी, और कोई उन्हें मेरे हाथ से छीन न लेगा" (यूहन्ना 10:27-28)

"देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)

"ये वे हैं, जो स्त्रियों के साथ अशुद्ध नहीं हुए, पर कुँवारे हैं; ये वे ही हैं, कि जहाँ कहीं मेम्‍ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं; ये तो परमेश्‍वर और मेम्‍ने के निमित्त पहले फल होने के लिये मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं। और उनके मुँह से कभी झूठ न निकला था, वे निर्दोष हैं" (प्रकाशितवाक्य 14:4-5)

"जो मुझसे, 'हे प्रभु, हे प्रभु' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)

संपादक की टिप्पणी

हम सभी उम्मीद करते हैं कि परमेश्वर में विश्वास करने में सब कुछ ठीक रहे, किसी भी आपदा या दुख का सामना न करना पड़े। लेकिन वास्तव में, परीक्षाओं और कष्टों के पीछे परमेश्वर की हमारे लिए बड़ी आशीष है—जिससे हम उनके करीब हो पाते हैं और हमारा आध्यात्मिक विकसित होता है।

यदि आप दर्द से जूझ रहे हैं और परमेश्वर की आशीष प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन आपके पास अनुसरण करने का कोई रास्ता नहीं है, तो स्क्रीन के निचले दाएं कोने पर स्थित बटन पर क्लिक करके हमसे संपर्क ज़रूर करें। आपके साथ संवाद करने, तलाशने और मार्ग खोजने में आपकी मदद करने में हमें बहुत ख़ुशी होगी।”

विषय के अनुसार बाइबल के पद” और “बाइबल अध्ययन” खंडों में दैनिक भक्ति संसाधनों का उपयोग करने के लिए आपका स्वागत है, ये आपके आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध कर सकते हैं।

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