मेरे और परमेश्वर के राज्य के बीच आए मेरे पादरी
नवंबर 2020 में, एक भाई ने मुझे ऑनलाइन सभा में शामिल होने का न्योता भेजा। मैंने सोचा कि मैं अपनी कलीसिया में हमेशा वही पुराने उपदेश सुने हैं जिनसे कोई आध्यात्मिक पोषण नहीं मिलता, तो शायद ऑनलाइन सेवा में कोई विदेशी पादरी बेहतर बात करे। मैं खुशी-खुशी तैयार हो गया। कुछ दिनों की सहभागिता से मैंने जाना कि प्रभु यीशु लौट आया है, वह सत्य व्यक्त करते हुए अंत के दिनों का न्याय कार्य कर रहा है। वह मानवजाति को शुद्ध करके बचाने आया है, ताकि हम पाप की बेड़ियों से बच सकें, वह हमें परमेश्वर के राज्य में ले जाने और परमेश्वर के प्रति समर्पित होकर उसकी आराधना करने वाला बनाने आया है। ये उपदेश बेहतरीन और उन बातों पर आधारित थे जो मैंने पहले कभी नहीं सुने, इसमें बहुत से नये प्रबोधन भी थे जिनसे मुझे काफी पोषण मिला। मैंने यह सब अपने एक दूर के भाई से साझा किया, मगर मुझे हैरानी हुई, जब उसने न केवल सुनने से मना कर दिया, बल्कि इनके बारे में मेरे पादरी को भी बता दिया।
पादरी ने कलीसिया के तीन अगुआओं को मेरे घर ऑनलाइन सभाओं के बारे में और पता लगाने के लिए भेज दिया, कि प्रचार करने वाले कहां के हैं और उनका संबंध किस संप्रदाय से है। मैंने उन्हें बताया, "यह कोई संप्रदाय नहीं है। प्रभु यीशु लौट आया है और वह परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय कार्य कर रहा है। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत से वचन पढ़े हैं। वह हमें साफ तौर पर बताता है कि इंसान के पाप की जड़ क्या है, पाप से कैसे बचें, और शुद्ध कैसे हों, भाई-बहनों की सहभागिता भी बहुत प्रबोधक है।" मगर अगुआओं ने कहा, "इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि उपदेश कितने अच्छे हैं। प्रभु के लौटकर आने की कोई भी खबर झूठी है, क्योंकि बाइबल कहती है, 'उस समय यदि कोई तुम से कहे, "देखो, मसीह यहाँ है!" या "वहाँ है!" तो विश्वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें' (मत्ती 24:23-24)। प्रभु यीशु ने साफ तौर पर बताया है कि अंत के दिनों में झूठे मसीह दिखाई देंगे, इसलिए प्रभु के लौटकर आने का दावा करने वाला कोई भी धर्म झूठा होगा। तुम उन्हें सुन कैसे सकते हो?" उनके ऐसा कहने पर, मैंने सोचा, प्रभु यीशु ने ऐसा इसलिए कहा ताकि हमें झूठे मसीहों की पहचान हो जाए, न कि इसलिए कि अत्यधिक सतर्क होकर प्रभु की वापसी के स्वागत का मौका ही गँवा दें। ऑनलाइन सभाओं में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई चेन ने झूठे मसीहों की पहचान से जुड़े सत्य और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन साझा किये थे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यदि वर्तमान समय में ऐसा कोई व्यक्ति उभरे, जो चिह्न और चमत्कार प्रदर्शित करने, दुष्टात्माओं को निकालने, बीमारों को चंगा करने और कई चमत्कार दिखाने में समर्थ हो, और यदि वह व्यक्ति दावा करे कि वह यीशु है जो आ गया है, तो यह बुरी आत्माओं द्वारा उत्पन्न नकली व्यक्ति होगा, जो यीशु की नकल उतार रहा होगा। यह याद रखो! परमेश्वर वही कार्य नहीं दोहराता। कार्य का यीशु का चरण पहले ही पूरा हो चुका है, और परमेश्वर कार्य के उस चरण को पुनः कभी हाथ में नहीं लेगा। परमेश्वर का कार्य मनुष्य की धारणाओं के साथ मेल नहीं खाता; उदाहरण के लिए, पुराने नियम ने मसीहा के आगमन की भविष्यवाणी की, और इस भविष्यवाणी का परिणाम यीशु का आगमन था। चूँकि यह पहले ही घटित हो चुका है, इसलिए एक और मसीहा का पुनः आना ग़लत होगा। यीशु एक बार पहले ही आ चुका है, और यदि यीशु को इस समय फिर आना पड़ा, तो यह गलत होगा। प्रत्येक युग के लिए एक नाम है, और प्रत्येक नाम में उस युग का चरित्र-चित्रण होता है। मनुष्य की धारणाओं के अनुसार, परमेश्वर को सदैव चिह्न और चमत्कार दिखाने चाहिए, सदैव बीमारों को चंगा करना और दुष्टात्माओं को निकालना चाहिए, और सदैव ठीक यीशु के समान होना चाहिए। परंतु इस बार परमेश्वर इसके समान बिल्कुल नहीं है। यदि अंत के दिनों के दौरान, परमेश्वर अब भी चिह्नों और चमत्कारों को प्रदर्शित करे, और अब भी दुष्टात्माओं को निकाले और बीमारों को चंगा करे—यदि वह बिल्कुल यीशु की तरह करे—तो परमेश्वर वही कार्य दोहरा रहा होगा, और यीशु के कार्य का कोई महत्व या मूल्य नहीं रह जाएगा। इसलिए परमेश्वर प्रत्येक युग में कार्य का एक चरण पूरा करता है। ज्यों ही उसके कार्य का प्रत्येक चरण पूरा होता है, बुरी आत्माएँ शीघ्र ही उसकी नकल करने लगती हैं, और जब शैतान परमेश्वर के बिल्कुल पीछे-पीछे चलने लगता है, तब परमेश्वर तरीक़ा बदलकर भिन्न तरीक़ा अपना लेता है। ज्यों ही परमेश्वर ने अपने कार्य का एक चरण पूरा किया, बुरी आत्माएँ उसकी नकल कर लेती हैं। तुम लोगों को इस बारे में स्पष्ट होना चाहिए" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'आज परमेश्वर के कार्य को जानना')। उनकी सहभागिता से मुझे यह समझने में मदद मिली कि जब प्रभु यीशु ने कहा, "झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे," वह हमें यही बता रहा था कि झूठे मसीह संकेत और चमत्कार दिखाकर लोगों को गुमराह करेंगे। जो कोई भी संकेत और चमत्कार दिखाता है, खुद को परमेश्वर कहता है, वह एक झूठा मसीह, एक दुष्ट आत्मा होगा। परमेश्वर हमेशा नया रहता है, कभी पुराना नहीं होता और वह कभी अपने कार्य नहीं दोहराता है। जब प्रभु यीशु लौटकर आएगा, तो वह वही काम नहीं करेगा जो अनुग्रह के युग में किया था। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में संकेत और चमत्कार नहीं दिखाता है, बल्कि वह इंसान को शुद्ध कर बचाने के लिए, परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत से सत्य व्यक्त किये हैं—वही मसीह और लौटकर आया प्रभु यीशु है। मैंने यह कहते हुए जवाब दिया, "प्रभु यीशु ने ऐसा इसलिए कहा ताकि हम झूठे मसीहों को पहचानें। मसीह वह है जो सत्य व्यक्त कर उद्धार का कार्य कर सकता है, मगर झूठे मसीह दुष्ट आत्माएं हैं और वे सत्य व्यक्त नहीं कर सकते। वे परमेश्वर के पिछले कार्य की नकल करके कुछ संकेत और चमत्कार दिखाते हैं, ताकि लोगों को मूर्ख बना सकें। प्रभु यीशु ने कहा था कि वह वापस आएगा और हमें सतर्क रहकर इंतज़ार करना होगा। यह तय है कि कुछ लोग उसके लौटकर आने की घोषणा करेंगे, ऐसे में अगर आप दावा करते हैं कि यह सब झूठा है, तो क्या आप प्रभु यीशु की वापसी की निंदा नहीं कर रहे?" उन्हें नहीं पता था कि इसके जवाब में क्या कहें, तो उन्होंने यह कहते हुए मुझे धमकाया, कि अगर मैं उन ऑनलाइन सभाओं में भाग लेता रहा, तो मेरे परिवार को उनसे कोई मदद नहीं मिलेगी। वियतनाम में, हम हर छोटी-बड़ी चीज़ के लिए पादरी से प्रार्थना करने को कहते हैं। किसी की मौत हो जाए जीवन में कोई और घटना हो, तो पादरी हमेशा मदद करते थे। अगर वे नहीं आए, तो कोई और भी मदद के लिए आगे नहीं आएगा। ऐसे में, जब उनके मदद न करने की बात सुनकर मुझे काफी चिंता होने लगी। हम अपने परिवार से जुड़े मामलों से कैसे निबटेंगे? उस समय, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर पूरा यकीन था। मैं जानता था कि कलीसिया के याजक-वर्ग की बात गलत थी, मगर फिर भी मुझ पर उनका एक प्रभाव पड़ा, क्योंकि मुझे सत्य की ज़्यादा समझ नहीं थी। मुझे यह चिंता भी थी कि पादरी की मदद के बिना जीवन की समस्याओं से कैसे निपटूँगा। मगर फिर मैंने सोचा कि उन सभाओं के ज़रिये मैंने देखा था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सभी वचन सत्य हैं, वे सभी परमेश्वर से आये हैं। मुझे लगा कि शायद वह लौटकर आया प्रभु यीशु ही है। ऐसे में, अगर मैंने अगुआओं की बात मानकर, अंत के दिनों में प्रभु के उद्धार का मौका गँवा दिया, तो क्या होगा? मैं बहुत उलझन में पड़ गया, मुझे नहीं पता था ऑनलाइन सभाओं में भाग लेना बंद करना चाहिए या नहीं।
मैं समझ सकता था कि वे कितने गुस्से में थे। अगर मैं सभाओं में भाग लेता रहा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के उपदेश सुनता रहा, तो वे मुझे नहीं छोड़ेंगे। मैंने तय किया कि मान जाने का दिखावा करूंगा और फिर छुप-छुपकर सभाओं में भाग लूँगा, मैंने कह दिया कि मैं उन सभाओं में भाग लेना बंद कर दूँगा। मगर उन्होंने इतने पर ही नहीं छोड़ा। उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासियों को कांटैक्ट करने की जानकारी मिटा दूँ। मैं ऐसा नहीं करना चाहता था जानबूझकर मना करता रहा, यह सोचकर कि अगर मैं अपना फ़ोन देने से मना करता रहा, तो शायद वे चले जाएंगे। मगर फिर मेरी पत्नी ने मुझे उनकी बात मान लेने के लिए कहा, कहा कि वे स्नेह से ऐसा कर रहे थे। मैं सोच रहा था अगर सचमुच मुझसे स्नेह है, तो उन्हें अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य की जांच में मेरा मार्गदर्शन करना चाहिए। इसके बजाय, उन्होंने परमेश्वर के नए कार्य की आलोचना और निंदा की, मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने से रोक रहे हैं। क्या प्रभु का स्वागत करने का मेरा मौका खराब करने का उन्हें डर नहीं? क्या यह स्नेह है? इसी जद्दोजहद में काफी देर हो गई, मगर वे जाने को तैयार नहीं थे, वे मेरा फ़ोन मांगते रहे। आखिर, कोई चारा न देख मैंने अपना फ़ोन उन्हें दे दिया, उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों के पूरे ग्रुप को मिटा दिया और उन सबको ब्लॉक कर दिया। उन्होंने मुझे चेतावनी दी कि अगर मैं उनके ख़िलाफ़ जाकर उनके उपदेश सुनता रहा, तो वे मुझे कलीसिया से निकाल देंगे। यह सुनकर मुझे बहुत डर लगा। अगर मैं उन सभाओं में भाग लेता रहा और मेरे परिवार को कुछ हो गया, तो उनकी मदद और सहयोग के बगैर हम क्या करेंगे? अगर मेरी पत्नी मुझसे नाराज़ हो गई और हमारे झगड़े हुए, तो मेरे बच्चों का क्या होगा? यह सोचकर मैंने खुद को असहाय पाया, तो मैंने मजबूर होकर कहा, "मैं सभाओं में भाग नहीं लूंगा।" एक अगुआ ने मुस्कुराते हुआ कहा, "अब ठीक है। बस हमारी कलीसिया की सेवाओं में हिस्सा लेते रहो।"
ऑनलाइन ग्रुप छोड़ने के बाद, मेरे पास पुरानी कलीसिया में वापस जाने का कोई चारा नहीं था। कलीसिया में, पादरी हमेशा अनुग्रह या भेंट की बातें करते थे, या फिर यूँ ही बाइबल का कोई पद उठाकर उसके बारे में बात करने लगते। वे बिना किसी प्रबोधन के हमेशा वही पुरानी घिसी-पिटी बातें दोहराते रहते। कभी-कभी कहने को कुछ नहीं होता, तो कोई चुटकुला ही सुनाने लगते। इससे मेरे जीवन को कोई लाभ नहीं मिल रहा था, कुछ विश्वासी तो सेवा के दौरान ही ऊंघने लगते। पादरी केवल अधिक भेंट देने वालों के लिए ही प्रार्थना करते, और उन्हें अनदेखा कर देते जिनके पास देने को कुछ नहीं होता था। यह देखकर मैं ऑनलाइन सभाओं में भाई-बहनों की सहभागिता के बारे में सोचने लगा। उन्होंने कहा था कि धार्मिक जगत उजाड़ हो गया है, और परमेश्वर नया कार्य कर रहा है, अब पवित्र आत्मा अनुग्रह के युग की कलीसियाओं में कार्य नहीं कर रहा है। पवित्र आत्मा के कार्य के बिना, पादरी के उपदेश नीरस हैं और बार-बार दोहराये जाते हैं, इनसे लोगों को पोषण नहीं मिल सकता। इस बारे में सोचते हुए मैं जानता था कि कलीसिया में सचमुच पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है। हमारी कलीसिया में हमेशा जोश और उत्साह भरा रहता था, मगर अब हमें सेवाओं में हिस्सा लेने की भी इच्छा नहीं होती। मैंने फिर से सोचा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के सदस्यों की सहभागिता में कितनी रोशनी होती थी, यह मुझे कितना पोषण देती थी। इतने बरसों से पादरी के उपदेश सुनकर भी मुझे उद्धार के लिए परमेश्वर की योजना का पता नहीं था, कैसे उसने व्यवस्था और अनुग्रह के युग में कार्य किया, उसके कार्य के क्या फायदे थे, या अंत के दिनों में परमेश्वर लोगों का न्याय कैसे करता है। मैं यही जानता था कि मुझे आस्था रखनी है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को सुनकर, मैंने परमेश्वर के कार्य के सभी रहस्यों के बारे में जाना, दूसरों के साथ मेरी सहभागिता से मुझे परमेश्वर के कार्य को अधिक से अधिक समझने में मदद मिली। मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में वाकई पवित्र आत्मा का कार्य है और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के सभी वचन सत्य हैं। मैं समझ सकता था कि शायद सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु हो। ऑनलाइन सभाओं से मुझे जो भी हासिल हुआ, उनके बारे में सोचने पर मेरा दिल भर आया। मैंने मन-ही-मन सोचा कि मुझे पता है, परमेश्वर नया कार्य करने के लिए लौट आया है। अगर मैंने इस बारे में जानने के लिए उन सभाओं में शामिल नहीं हुआ, तो शायद उद्धार का मौका गँवा दूँगा। मैं उन भाई-बहनों के साथ और सभाओं में हिस्सा लेना चाहता था, मगर ऐसा नहीं कर सका, क्योंकि अगुआओं ने उनकी सारी जानकारी मिटा दी थी। मेरी आत्मा तरस रही थी, मुझे लगा जैसे मैंने इस धरती की सबसे कीमती चीज़ खो दी हो। मुझे काफी हताशा, खालीपन और पीड़ा महसूस हुई। मैं हर दिन प्रार्थना करते हुए परमेश्वर से मुझे राह दिखाने को कहता। आखिरकार परमेश्वर ने मेरी पुकार सुन ली। जल्दी ही, लाओस की एक बहन और फेसबुक पर एक भाई मेरे संपर्क में आये। उन्होंने बताया कि जब बीते कुछ दिनों से मुझसे संपर्क नहीं हुआ, तो उन्हें मेरी काफी चिंता हुई, मुझे ढूंढने की भी कोशिश की। मेरा दिल भर आया, मैंने परमेश्वर का आभार माना। मैं परमेश्वर के प्रेम को महसूस कर सकता था, वह हमारे उद्धार के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है, कभी हमारा त्याग नहीं करता। यह सोचकर कि कहीं मैं निराश और कमज़ोर न महसूस करूं, उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन मुझे भेजे। एक अंश ने मुझे काफी प्रभावित किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर अपना कार्य करता है, वह एक व्यक्ति की देखभाल करता है, उस पर नज़र रखता है, और शैतान इस पूरे समय के दौरान उसके हर कदम का पीछा करता है। परमेश्वर जिस किसी पर भी अनुग्रह करता है, शैतान भी पीछे-पीछे चलते हुए उस पर नज़र रखता है। यदि परमेश्वर इस व्यक्ति को चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को भ्रमित, बाधित और नष्ट करने के लिए विभिन्न बुरे हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; उसे वे सभी लोग अपने लिए चाहिए जिन्हें परमेश्वर चाहता है, ताकि वह उन पर कब्ज़ा कर सके, उन पर नियंत्रण कर सके, उनको अपने अधिकार में ले सके, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है? ... परमेश्वर के साथ युद्ध करने और उसके पीछे-पीछे चलने में शैतान का उद्देश्य उस समस्त कार्य को नष्ट करना है, जिसे परमेश्वर करना चाहता है; उन लोगों पर कब्ज़ा और नियंत्रण करना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है; उन लोगों को पूरी तरह से मिटा देना है, जिन्हें परमेश्वर प्राप्त करना चाहता है। यदि वे मिटाए नहीं जाते, तो वे शैतान द्वारा इस्तेमाल किए जाने के लिए उसके कब्ज़े में आ जाते हैं—यह उसका उद्देश्य है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV')। उस बहन ने सहभागिता करते हुए कहा, परमेश्वर के वचनों से हम देख सकते हैं कि भले ही लोग हमारे रास्ते में आकर खड़े हो जाएं, रुकावटें खड़ी करें, उन सबके पीछे दरअसल परमेश्वर और शैतान के बीच की लड़ाई है। परमेश्वर हमें बचाने के लिए कार्य कर रहा है जबकि शैतान सभी तरह के लोगों द्वारा हमें दबा और रोक रहा है, ताकि हम परमेश्वर को ठुकराकर उसे धोखा दें और अंत के दिनों में परमेश्वर के उद्धार का मौका गँवा दें। यही शैतान की पापी मंशा है। यही वह समय है जब हमें डट कर इन लोगों और चीज़ों की पहचान करने और अपनी आस्था का मार्ग चुनने की ज़रूरत है। क्योंकि हमने परमेश्वर की वाणी सुनी है, हमें उसके नक्शेकदम पर चलना चाहिए। सच्चे मार्ग पर अडिग रहने का यही एकमात्र तरीका है। उनकी सहभागिता ने मुझे प्रबुद्ध किया। अगुआ नहीं चाहते थे कि मैं ऑनलाइन सभाओं में भाग लूँ, उन्होंने सारी जानकारी मिटा दी ताकि मैं संपर्क न कर पाऊँ, और गुमराह होने से बच सकूँ, इससे ऐसा लगा कि वे यह सब स्नेह और सहयोग की वजह से कर रहे हैं। मगर दरअसल, वे मेरे रास्ते की रुकावट बन रहे थे, मुझे प्रभु का स्वागत करने से दूर रख रहे थे, वे मुझे वापस धार्मिक जगत में खींचना चाहते थे, ताकि मैं अंत के दिनों के परमेश्वर के उद्धार को गँवा दूँ। याजक-वर्ग की रुकावटों से यह भी साफ था कि मेरी आस्था कितनी मामूली थी, मैं कितना कमज़ोर था। मैंने पादरियों को अपना फ़ोन दे दिया और अपने संपर्क तोड़ दिए, सीधे पुरानी कलीसिया में वापस चला गया। मैं अंधकार में जी रहा था, मुझे ज़रा-भी आध्यात्मिक पोषण नहीं मिल रहा था। मैंने पादरी की बात मानकर सच्चे मार्ग को लगभग छोड़ ही दिया था—कितना भयावह है! मैं फिर शैतान के आगे नहीं झुक सकता। अब चाहे याजक-वर्ग जो भी करे, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ता रहूँगा। उसके बाद, एक भाई ने मुझे कुछ गवाही वाले वीडियो भेजे, जिनमें चीनी सरकार द्वारा भाई-बहनों के उत्पीड़न और भयानक यातना के बीच दी गई उनकी गवाही थीं। यही सच्ची आस्था है। तुलना करने पर, मैंने पाया कि मैंने याजक-वर्ग की थोड़ी-सी रुकावट पर ही हार मान ली। मुझे अभी लंबा रास्ता तय करना था! मैं जानता था इन चीज़ों से उबरने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करना होगा, चाहे मेरा परिवार मुझे कितना भी ठुकराये या याजक-वर्ग कितना भी दबाये, मुझे अडिग रहना होगा। मैंने ऑनलाइन उपदेश सुनने और सभा करने का संकल्प लिया।
उसके बाद याजक-वर्ग ने ऑनलाइन सभाओं में हिस्सा लेने से रोकने के लिये बहुत सी तरकीबें लड़ाई। उन्होंने मुझसे यह झूठ भी बोला, "हमें परमेश्वर ने अपनी भेड़ पर नज़र रखने के लिये चुना है, इसलिए हम खुद तुम्हारे लिए ज़िम्मेदार हैं। यही कारण है कि हम तुम्हारी ऑनलाइन सभाओं पर नज़र रखते हैं, उन संपर्कों को तुम्हारे भले के लिये ही मिटाया है। परमेश्वर की भेड़ पर नज़र नहीं रखी, तो प्रभु लौटकर आने पर हमारा न्याय करेगा।" याजक-वर्ग को परमेश्वर द्वारा नियुक्त किया गया है या नहीं, इस पर ऑनलाइन सभा में एक भाई की कही बात याद आई। उन्होंने कहा था, "जिस किसी व्यक्ति को परमेश्वर नियुक्त करता है, उसके लिए उसके वचन आधार बनते हैं। व्यवस्था के युग में, जब यहोवा परमेश्वर ने इस्राएलियों के लिए मूसा को नियुक्त किया, तब उसने खास तौर पर मूसा से कहा था, 'निश्चय मैं तेरे संग रहूँगा; और इस बात का कि तेरा भेजनेवाला मैं हूँ, तेरे लिये यह चिह्न होगा कि जब तू उन लोगों को मिस्र से निकाल चुके, तब तुम इसी पहाड़ पर परमेश्वर की उपासना करोगे' (निर्गमन 3:12)। अनुग्रह के युग में, प्रभु यीशु ने पतरस को कलीसियाओं की चरवाही का काम देने के सबूत के तौर पर कहा था: 'और मैं भी तुझ से कहता हूँ कि तू पतरस है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल न होंगे। मैं तुझे स्वर्ग के राज्य की कुंजियाँ दूँगा : और जो कुछ तू पृथ्वी पर बाँधेगा, वह स्वर्ग में बंधेगा; और जो कुछ तू पृथ्वी पर खोलेगा, वह स्वर्ग में खुलेगा' (मत्ती 16:18-19)। 'मेरी भेड़ों की रखवाली कर' (यूहन्ना 21:16)। हम देख सकते हैं कि परमेश्वर जिन लोगों को स्थापित और इस्तेमाल करता है उनके बारे में खुद ही गवाही देता है। उनके पास सबूत के तौर पर परमेश्वर के वचन होते हैं। ऐसा न होने पर, सबूत के तौर पर कम से कम पवित्र आत्मा का कार्य ज़रूर होना चाहिए। क्या याजक-वर्ग के पास परमेश्वर के वचनों का कोई सबूत है कि उन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किया है? पवित्र आत्मा के कार्य के बारे में क्या कहेंगे?" इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया। मैं जानता था कि परमेश्वर ने याजक-वर्ग के लोगों को नियुक्त करने की बात कभी नहीं कही, भले ही पौलुस ने कहा था, "पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है," पौलुस के शब्द परमेश्वर के वचन नहीं हैं, इसलिए उन्हें आधार नहीं माना जा सकता। उनके दावे में कोई दम नहीं है! मुझे हाल ही में यह एहसास हुआ कि याजक-वर्ग के उपदेशों में पवित्र आत्मा का प्रबोधन नहीं था। वे न परमेश्वर की इच्छा साझा करते, न प्रभु के वचनों पर अमल करने में हमारा मार्गदर्शन करते। उनके पास पवित्र आत्मा का कार्य बिल्कुल नहीं था। इससे पता चला कि उन्हें परमेश्वर ने नहीं, बल्कि इंसान ने नियुक्त किया है। अपनी आस्था में, मुझे किसी इंसान की नहीं, बल्कि परमेश्वर के वचन सुनकर उसका अनुसरण करना चाहिए। मुझे कोई जवाब नहीं देता देख, पादरी ने गुस्से में आकर मुझे डांट लगाई : "सुसमाचार साझा करने से पहले हमारा सामना करना होगा। हमारी मंज़ूरी के बिना, यह एक झूठा मार्ग है। तुम उसकी बात नहीं सुन सकते!" मैंने जवाब दिया, "परमेश्वर सृष्टिकर्ता है और वह अपना कार्य खुद करता है। उसे किसी इंसान की मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं है। प्रभु लौट आया है। हम परमेश्वर की वाणी सुनकर उसका अनुसरण करते हैं—हमें आपकी मंज़ूरी की क्या ज़रूरत?" मैं सोच रहा था कि वे खुद के बारे में बहुत ज़्यादा सोचते हैं, वे बहुत अहंकारी हैं! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को सुनने या उसके कार्य की छानबीन करने से इनकार करके, बस उसकी आलोचना करना प्रभु यीशु के कार्य के प्रति फ़रीसियों के रवैया जैसा ही था। उनके मन में परमेश्वर के प्रति न कोई श्रद्धा थी, न सत्य के लिए कोई प्रेम।
उसके बाद, उन्होंने मेरी पत्नी से झूठ बोलते हुए कहा कि मैं गलत मार्ग पर चला गया हूँ। उसे उनकी कोई पहचान नहीं थी, तो जब भी मैं ऑनलाइन सभा में हिस्सा लेता, वह बहुत नाराज़ हो जाती कहती कि हम दो अलग मार्ग पर चल रहे हैं, अगर मैं उन सभाओं में जाता रहा, तो वह मुझे तलाक दे देगी। उस समय मैं बहुत कमज़ोर और असहाय महसूस कर रहा था। मैंने सोचा, अगर मैंने समझौता करके सभाओं में भाग लेना बंद कर दिया, तो मैं परमेश्वर का उद्धार गँवा दूँगा। अगर मैं सभाओं में भाग लेता रहा, तो वह मुझे तलाक दे देगी, फिर हमारे छोटे बच्चों का क्या होगा? अपनी बेबसी में, मैंने परमेश्वर से प्रार्थना की, "हे परमेश्वर, मेरी आस्था को मजबूती दो। इन परीक्षणों से उबरने में मेरी मदद करो और इस मार्ग पर चलने की राह दिखाओ।" फिर मुझे प्रभु यीशु की यह बात याद आई : "जो माता या पिता को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं; और जो बेटा या बेटी को मुझ से अधिक प्रिय जानता है, वह मेरे योग्य नहीं" (मत्ती 10:37)। परमेश्वर के वचनों से पता चला कि मेरी पत्नी और बच्चों के लिए मेरा प्यार परमेश्वर के प्रति मेरे प्रेम से अधिक था, मैं उसके लायक नहीं था। मैंने मन-ही-मन संकल्प लिया कि भले ही मेरी पत्नी मुझे तलाक दे दे, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करता रहूँगा। फिर, जब मेरी पत्नी ने मेरे रास्ते में आई तो, उसका मुझ पर कोई असर नहीं पड़ा।
फिर पादरी ने मुझे सभाओं में भाग लेने से रोकने के लिए मेरे ससुर को भी शामिल कर लिया। मेरे ससुर बड़े शराबी थे और अक्सर कलीसिया नहीं जाते थे, मगर पादरी ने उन्हें एक सेवा के लिए न्योता भेजा और उनसे झूठ बोला कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने के बाद, अगर मैंने वो कलीसिया छोड़नी चाही, तो वे मेरे पैर तोड़ देंगे। अपने पिता से यह सब सुनकर, मेरी पत्नी घर आकर मुझ पर चिल्लाने लगी। मैंने उससे कहा कि याजक-वर्ग ने जो कहा उसका कोई आधार नहीं था। पूरी दुनिया में, अंत के दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के कारण किसी के पैर नहीं तोड़े गये हैं। यह चीनी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा फैलायी गई एक अफवाह है, यह एक परमेश्वर-विरोधी, दमनकारी सरकार है। एक बार एक पादरी ने मुझे बताया कि दूसरे पादरी अमेरिका से कुछ बाइबल वापस ला रहे थे, तो चीन की सीमा पर पुलिस ने उन्हें जब्त कर लिया। सीसीपी परमेश्वर में आस्था रखने की अनुमति नहीं देती। अब जबकि प्रभु लौट आया है और वह चीन में प्रकट हुआ है, तो वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के विश्वासियों को खदेड़कर उन पर अत्याचार कर रहे हैं। ऐसी परमेश्वर विरोधी, नास्तिक सरकार की बात पर कोई कैसे विश्वास कर सकता है? ऑनलाइन सभाओं में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत से वचन पढ़े, जो प्रचुर और समृद्ध हैं, वे परमेश्वर के कार्य के रहस्यों के साथ-साथ इंसान की भ्रष्टता और पापी प्रकृति का खुलासा करते हैं, ताकि हम खुद को जान सकें। मैं जितना पढ़ता हूँ, उतना ही प्रबुद्ध महसूस करता हूँ और लगता है यह परमेश्वर की वाणी है। मैंने पत्नी से कहा, मुझे यकीन है सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है। प्रभु यीशु लौट आया है और हमें परमेश्वर के नक्शेकदम पर चलने की ज़रूरत है। मैं पुरानी कलीसिया में वापस क्यों जाऊं? इस पर, मेरी पत्नी के पास कहने को और कुछ नहीं था, मगर जैसे ही उसने सेवाओं में शामिल होकर पादरी की अफवाहें सुनी, तो घर आकर मुझसे बहस करने लगी। पहले मैं हमेशा यही सोचता था कि याजक-वर्ग परमेश्वर से प्रेम करने वाले लोग हैं और मुझसे भी प्रेम करते हैं, मगर जब से उन्हें मेरे परमेश्वर के नये कार्य की खोज करने का पता चला, वे मेरे रास्ते की रुकावट बनने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे, उन्होंने मुझे अपने धर्म में वापस खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आखिर मुझे उनके असली चेहरे दिख गये। मुझे फ़रीसियों को धिक्कारते हुए प्रभु यीशु के वचन याद आये : "हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो" (मत्ती 23:13)। "हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो" (मत्ती 23:15)। फ़रीसियों ने लोगों को अपनी मुट्ठी में जकड़ने के लिये उन्हें धर्म में आने को बहकाया, और जब प्रभु यीशु आया, तो उन्होंने देखा कि उसके वचन और कार्य अधिकार और सामर्थ्य से भरपूर हैं, मगर वे धर्मशास्त्र के शाब्दिक अर्थ से चिपके रहे और सत्य नहीं खोजा, उन्हें डर था कि लोगों ने यीशु का अनुसरण किया तो उनकी आजीविका चली जाएगी। इसलिए उन्होंने प्रभु यीशु की बदनामी और निंदा करने वाली अफवाहें फैलाईं और आखिर में उसे सलीब पर चढ़ा दिया। क्या आज के पादरी बिल्कुल उन फ़रीसियों जैसे नहीं हैं? वे भी अपनी कलीसियाओं में विश्वासियों को फँसा रहे हैं, उन्हें अपने काबू में रख रहे हैं, उन्हें परमेश्वर की वाणी सुनकर प्रभु का स्वागत करने नहीं दे रहे। कितने दुष्ट हैं! इससे मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं?" ("वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं')। परमेश्वर के वचनों से याजक-वर्ग के असली, परमेश्वर-विरोधी चेहरों का पता चला। परमेश्वर अंत के दिनों में मानवजाति को बचाने आया है, ऐसे में याजक-वर्ग न सिर्फ खोज और छानबीन नहीं करते, बल्कि उससे लड़कर उसकी निंदा भी करते हैं, अफवाहें फैलाते और झूठ बोलते हैं, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की खोज करने से रोककर कलीसियाओं को बंद कर रहे हैं। वे प्रभु का स्वागत नहीं कर रहे या परमेश्वर के राज्य में नहीं जा रहे, वे हमें उसके उद्धार को स्वीकारने से रोक रहे हैं, राज्य में प्रवेश करने के हमारे मौके छीन रहे हैं। वे ऐसे दानव हैं जिनका जिक्र परमेश्वर के वचनों में किया गया है, जो इंसान का मांस खाते और खून पीते हैं, ये राक्षस लोगों को सच्चे मार्ग से दूर कर रहे हैं।
उन्होंने मुझे कलीसिया से इसलिए निकाल दिया क्योंकि मैंने उनकी बात नहीं मानी। अगुआओं ने मुझसे कहा कि अगर मुझे कोई समस्या हुई तो वे मेरी मदद नहीं करेंगे। तब मैंने जाना कि याजक-वर्ग सत्य से प्रेम नहीं करता, परमेश्वर की वाणी नहीं सुनता। ये परमेश्वर की भेड़ें नहीं हैं। आस्था में उनका अनुसरण करने का मतलब है अंधे के पीछे अंधे का चलना, ऐसे में हम सब बर्बाद हो जाएंगे। मैं खुशकिस्मत था जो उन झूठे चरवाहों से आज़ाद होकर परमेश्वर के नक्शेकदम पर चल पाया।
उसके बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के और भी वचन पढ़े, भाई-बहनों की बहुत सी गवाहियां सुनी। मैंने अपनी 10 सालों की आस्था से कहीं अधिक, आध्यात्मिक पोषण और शिक्षण पाया। मुझे लगा कि अंत के दिनों में पैदा होना और प्रभु की वापसी का स्वागत कर पाना बहुत बड़ी आशीष है! मैं यह शानदार खबर ऐसे और लोगों से साझा करना चाहता था जो अब तक परमेश्वर के सामने नहीं आये हैं, मगर याजक-वर्ग चाहता था कि मैं कलीसिया के अन्य लोगों से इसे साझा न करूं, वरना वे अधिकारियों से मेरी शिकायत करके मुझे गिरफ्तार करवा देंगे। मैंने कहा, "क्या आपको परमेश्वर के ख़िलाफ़ जाने से डर नहीं लगता?" उनमें से एक, मिस्टर झाओ ने बेरुखी से जवाब दिया, "अगर यह सचमुच परमेश्वर का कार्य है, तो इस बार फ़रीसी हम होंगे, परमेश्वर को पीढ़ियों तक हमें दंड देना है तो दे।" ऐसी बात कहकर, क्या वे जानबूझकर परमेश्वर के ख़िलाफ़ जाने और उसके स्वभाव का अपमान नहीं कर रहे थे? उनके अहंकार और परमेश्वर का ज़रा-भी भय न होने से ये साफ हो गया कि वे सत्य से नफ़रत करते हैं और परमेश्वर के शत्रु हैं। इस तरह परमेश्वर के ख़िलाफ़ काम करने पर, आखिरकार परमेश्वर उन्हें फ़रीसियों की तरह ही दंड देगा।
उसके बाद मुझे उनकी अच्छी तरह से पहचान हो गई। अब वे मेरा रास्ता नहीं रोक सकते, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने का मेरा संकल्प और पक्का हो गया। अब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में कार्यभार संभाल लिया है। जब मेरी पत्नी ने देखा कि मेरी आस्था कितनी अडिग है, तो वह भी उत्सुक होकर इसकी खोजबीन करने लगी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने के बाद उसने भी अंत के दिनों के उसके कार्य को स्वीकार लिया और अब वह सुसमाचार साझा कर रही है। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उद्धार का आभारी हूँ, मैं अपना कर्तव्य निभाने और परमेश्वर के प्रेम का मूल्य चुकाने के लिये सब कुछ देना चाहता हूँ।