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मेन्‍यू

क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर केवल पुरुष के रूप में देहधारण ले सकता है?

प्रश्न: हम सालों से प्रभु के वापस लौटने की बाट जोह रहें हैं। जब हमने सुना कि आप गवाही दे रहे हैं कि प्रभु यीशु देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस लौट आए हैं, और वह सत्य व्यक्त कर रहे हैं और न्याय और ताड़ना का कार्य कर रहे हैं, तो हमने फैसला किया कि हम प्रभु के वचनों के अनुसार पहलकदमी और सत्य मार्ग का अन्वेषण करेंगे, लेकिन जब हमें पता चला कि प्रभु ने इस बार एक स्त्री के रूप में देहधारण किया है, तो हमारे अंदर संदेह पैदा हो गया। सालों पहले प्रभु यीशु का देहधारण पुरुष का था, और परमेश्वधर का लिंग पुरुष का है, इसलिए वापस लौटने वाले प्रभु को भी पुरुष ही होना चाहिए। वह संभवतः स्त्री कैसे हो सकते हैं? यह चीज हमारी समझ से बाहर है, तो क्या आप हमें यह चीज समझा सकते हैं?

उत्तर: प्रभु के लिए धन्यवाद हो! कि आप प्रभु के वचनों के अनुसार खुले दिल से प्रयास कर पाए, यह दर्शाता है कि आप धार्मिकता के लिए लालायित हैं। मेरी भी यही धारणा हुआ करती थी, यह विश्वास करते हुए है कि क्योंकि प्रभु यीशु ने पुरुष के रूप में देहधारण किया था, तो वापस लौटने पर भी उन्‍हें पुरुष रूप में ही होना चाहिए। लेकिन क्या यह निष्कर्ष सही है? क्या परमेश्वर केवल पुरुष रूप में देहधारी बन सकता है? वास्तव में, प्रभु यीशु ने पुरुष रूप में देहधारण किया इसका मतलब यह नहीं है कि जब वह अंत के दिनों में वापस लौटेंगे तो उन्‍हें अपना कार्य करने के लिए पुन: पुरुष रूप में होना चाहिए। यह एक धारणा, एक कल्पना है, जिससे हम मनुष्य अभिभूत हैं, जिसका प्रभु के वचनों में कोई आधार नहीं है। सबसे पहले, आइए बाइबल के इन छंदों पर एक नज़र डालें: "आदि में परमेश्वेर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अंधियारा था; तथा परमेश्वार का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था" (उत्पत्ति 1:1-2)। इससे हम समझ सकते हैं कि परमेश्वर सहज रूप से आत्मा है, रूपाकार रहित, अदृश्य, अमूर्त और किसी भी लिंग विभाजन के बिना। केवल इसलिए क्‍योंकि परमेश्वर मनुष्य को बचाने के लिए अपना कार्य करने के लिए देहधारी बन जाता, क्या वह सृजित प्राणी का बाहरी खोल अपनाता, और इसलिए उसका लिंग था। उदाहरण के लिए, देहधारी प्रभु यीशु मसीह ने पुरुष का रूप ग्रहण किया, लेकिन उनका सार स्वयं परमेश्‍वर का ही बना रहा। इस लिंग की बात केवल प्रभु यीशु के देह के संबंध में की जाती है जब उन्‍होंने पृथ्वी पर काम किया था, जैसे कि जब वह मृत्यु से पुनर्जीवित हुए और आत्मा के दायरे में वापस लौटे, तो परमेश्वर अपने मूल रूप में लौट आया, जिस बिंदु पर अब लिंग का कोई विभाजन नहीं था।

इसके अलावा, उत्पत्ति 1:27 तस्‍दीक करती है, "तब परमेश्‍वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया; नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की।" यह छंद हमें बताता है कि परमेश्वर ने अपने स्वरूप के अनुसार स्त्री-पुरुष को उत्पन्न किया, और इसलिए स्‍त्री-पुरुष परमेश्वर के समक्ष समान हैं। परमेश्वर पुरुष रूप और स्त्री रूप दोनों में देहधारी बन सकता है, और चाहे वह स्‍त्री के रूप में देहधारी बने या पुरुष के रूप में, जब तक कि देहधारी देह परमेश्वर की आत्मा की है, तब तक वह मसीह है, वह स्वयं परमेश्वर है, और वह हमेशा परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करेगा। जहाँ तक इसकी बात है कि परमेश्वर विशेष रूप से किस लिंग को चुनता है, यह परमेश्वर के काम की ज़रूरतों पर निर्भर करता है और यह फैसला लेना परमेश्वर पर निर्भर करता है—किसी भी मनुष्य को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। यदि हम प्रभु यीशु को मनुष्य के स्‍वरूप में देखते हैं, तो हम परमेश्वर को मनुष्य के स्‍वरूप में परिसीमित करने के लिए अपनी कल्पनाओं और तर्कों से अनुसार चलते हैं, और कहते हैं कि वह संभवतः स्‍त्री नहीं हो सकता है, तो क्या हम परमेश्वर का परिसीमन नहीं कर रहे हैं? बाइबल में कहा गया है, "क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है" (यशायाह 55:8-9)। परमेश्वर का ज्ञान मनुष्य के ज्ञान से शाश्‍वत रूप से ऊँचा है, उसके कर्म हमेशा हमारे लिए अथाह रहेंगे, और उसका काम हमेशा सार्थक होता है, चाहे वह जैसे भी करता हो। चूँकि परमेश्वर पुरुष रूप में देहधारी बन सकता है, तो क्या इसका मतलब यह है कि वह स्त्री रूप में देहधारी नहीं बन सकता है? सृजित प्राणियों के रूप में हमें परेमेश्‍वर का परिसीमन नहीं करना चाहिए, बल्कि उसके सामने प्रार्थना करना और अधिक का प्रयास करना चाहिए, और समर्पण करने का विकल्‍प चुनना चाहिए। यह वह मार्ग है जिसका बुद्धिमान लोग अनुसरण करते हैं।

अंत के दिनों में स्त्री रूप में ईश्वर के देहधारी बनने का महत्व

कुछ लोग शायद यह पूछ सकते हैं कि, चूँकि परमेश्वर पुरुष के रूप में या स्‍त्री के रूप में देहधारण कर सकता है, तो अंत के दिनों में वापस लौटने पर वह पुरुष रूप में क्यों नहीं बना रहता है, बल्कि इसके बजाय स्‍त्री का स्‍वरूप अपनाता है? यदि वह पुरुष का स्‍वरूप अपनाए तो क्या लोग उसे अधिक आसानी से स्वीकार नहीं करेंगे?

हमें पता है कि कई लोग इसे लेकर भ्रमित होंगे। लेकिन वास्तव में, चाहे परमेश्वर पुरुष के रूप में देहधारण करे या स्‍त्री के रूप में, वह केवल ऐसा मनुष्य को बचाने करता है, यह वह चीज है जो उसके प्रबंधन कार्य के लिए आवश्यक है, और यह हमेशा असाधारण महत्व का होता है। आइए परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़ें, तब हम समझ जाएंगे। परमेश्वर कहते हैं, "यदि परमेश्वर केवल एक पुरुष के रूप में देह में आए, तो लोग उसे पुरुष के रूप में, पुरुषों के परमेश्वर के रूप में परिभाषित करेंगे, और कभी विश्वास नहीं करेंगे कि वह महिलाओं का परमेश्वर है। तब पुरुष यह मानेंगे कि परमेश्वर पुरुषों के समान लिंग का है, कि परमेश्वर पुरुषों का प्रमुख है—लेकिन फिर महिलाओं का क्या? यह अनुचित है; क्या यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार नहीं है? यदि यही मामला होता, तो वे सभी लोग जिन्हें परमेश्वर ने बचाया, उसके समान पुरुष होते, और एक भी महिला नहीं बचाई गई होती। जब परमेश्वर ने मानवजाति का सृजन किया, तो उसने आदम को बनाया और उसने हव्वा को बनाया। उसने न केवल आदम को बनाया, बल्कि पुरुष और महिला दोनों को अपनी छवि में बनाया। परमेश्वर केवल पुरुषों का ही परमेश्वर नहीं है—वह महिलाओं का भी परमेश्वर है।" "परमेश्वर लिंग के बारे में कोई भेदभाव नहीं करता। वह अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है, और अपने कार्य को करते समय उस पर किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं होता, वह स्वतंत्र होता है, परन्तु कार्य के प्रत्येक चरण के अपने ही व्यवहारिक मायने होते हैं। परमेश्वर ने दो बार देहधारण किया, और यह स्वत: प्रमाणित है कि अंत के दिनों में उसका देहधारण अंतिम है। वह अपने सभी कर्मों को प्रकट करने के लिए आया है। यदि इस चरण में वह व्यक्तिगत रूप से कार्य करने के लिए देहधारण नहीं करता जिसे मनुष्य देख सके, तो मनुष्य हमेशा के लिए यही धारणा बनाए रखता कि परमेश्वर सिर्फ पुरुष है, स्त्री नहीं।"

हम परमेश्वर के वचनों से देख सकते हैं कि यह महत्वपूर्ण है कि परमेश्वर ने एक बार पुरुष के रूप में और एक बार स्त्री रूप में देहधारण किया। अपना काम करने के लिए दूसरी बार देहधारण करने पर यदि परमेश्वर पुरुष का रूप अपनाता, तो हम हमेशा यह विश्वास करते हुए उसका अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के भीतर परिसीमन करते, कि परमेश्वर केवल पुरुष हो सकता है, यह कि वह केवल पुरुषों से प्रेम करता है और केवल पुरुषों को स्वीकार करता है, वह स्त्रियों को पसंद नहीं करता है, और वह पुरुषों का न कि स्त्रियों का परमेश्वर है। अब अंत के दिनों में, प्रभु ने काम करने के लिए एक स्त्री के स्‍वरूप में दूसरी बार देहधारण किया है। ऐसा करके, उसने हमारी धारणाओं के विरूद्ध एक बड़ा जवाबी हमला शुरू किया है, जिससे हम यह समझ पाते हैं कि परमेश्वर न केवल पुरुषों का परमेश्वर है, बल्कि स्त्रियों का भी परमेश्‍वर है, और परमेश्वर न केवल पुरुषों से प्रेम करता है और उन्‍हें बचाता है, बल्कि बिल्कुल इसी तरह से स्त्रियों से भी प्रेम करता है और उन्‍हें बचाता है। परमेश्वर समस्‍त मानवजाति का परमेश्वर है, और उसकी आँखों में, स्त्री-पुरुष समान हैं, और न ही एक-दूसरे पर इष्ट हैं। साथ ही, परमेश्वर के बारे में हमारी गलत समझ सुधर जाती है और परमेश्वर को परिसीमित करने के हमारे प्रयासों का लोप हो जाता है। परमेश्वर हमेशा सिर्फ इसलिए पुरुष नहीं होगा क्योंकि उसने एक बार पुरुष रूप में देहधारण किया था; वह अपने काम की जरूरतों के अनुसार स्वतंत्र रूप से पुरुष या स्‍त्री बनने का विकल्‍प चुन सकता है। इससे हमें पता चलता है कि अपने दो देहधारण में अलग-अलग लिंग अपनाकर, वह अपनी सर्वशक्तिमानता, बुद्धिमत्‍ता, चमत्कारिकता और धार्मिकता को साकार करता है, और साथ ही अपने बारे में हमारी धारणाओं का प्रतिकार भी करता है। अंत के दिनों में स्‍त्री रूप में देहधारण करने वाला परमेश्वर अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है!

किताब

चाहे उसका लिंग जो भी होकेवल परमेश्वर स्वयं ही सत्य को व्यक्त कर सकता है

चाहे परमेश्‍वर पुरुष के रूप में देहधारण करे या स्‍त्री के रूप में, इस सबके पीछे उसकी बुद्धिमत्‍ता है। परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार और जिस भी तरह से मनुष्य का कल्याण हो, तद्नुसार कार्य करता है और हम उसे इस तरह से या उस तरह से सलाह देने के योग्य नहीं हैं। इसलिए जब हम सच्चे मार्ग की खोजबीन करते हैं, तो हम अपनी धारणाओं के अनुसार नहीं चल सकते हैं और परमेश्वर को केवल पुरुष के रूप में सीमांकित नहीं कर सकते और इस तरह कि वह अपना कार्य करने के लिए स्‍त्री के रूप में देहधारण करने में असमर्थ है। इसके बजाय, हमें यह पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए कि क्या इस देह द्वारा व्यक्त किए गए वचनों में सत्य है, और क्या वे परमेश्वर की वाणी हैं। यह अभी के लिए पर्याप्त है। क्योंकि यदि यह परमेश्वर के आत्मा की देहधारी देह है, तो यह निश्चित रूप से वह कार्य करेगा जो परमेश्वर करना चाहता है। परमेश्वर कहते हैं, "परमेश्वर द्वारा किए गए कार्य के प्रत्येक चरण के अपने व्यवहारिक मायने हैं। जब यीशु का आगमन हुआ, वह पुरुष था, लेकिन इस बार के आगमन में परमेश्वर स्त्री है। इससे तुम देख सकते हो कि परमेश्वर ने अपने कार्य के लिए पुरुष और स्त्री दोनों का सृजन किया, वह कोई लिंग-भेद नहीं करता। जब उसका आत्मा आता है, तो वह इच्छानुसार किसी भी देह को धारण कर सकता है और वही देह उसका प्रतिनिधित्व करता है; चाहे पुरुष हो या स्त्री, दोनों ही परमेश्वर का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, यदि यह उसका देहधारी शरीर है। यदि यीशु स्त्री के रूप में आ जाता, यानी अगर पवित्र आत्मा ने लड़के के बजाय लड़की के रूप में गर्भधारण किया होता, तब भी कार्य का वह चरण उसी तरह से पूरा किया गया होता। और यदि ऐसा होता, तो कार्य का वर्तमान चरण पुरुष के द्वारा पूरा किया जाता और कार्य उसी तरह से पूरा किया जाता। दोनों में से किसी भी चरण में किया गया कार्य समान रूप से अर्थपूर्ण है; कार्य का कोई भी चरण दोहराया नहीं जाता है या एक-दूसरे का विरोध नहीं करता है। उस समय जब यीशु कार्य कर रहा था, तो उसे इकलौता पुत्र कहा गया, और 'पुत्र' का अर्थ है पुरुष लिंग। तो फिर इस चरण में इकलौते पुत्र का उल्लेख क्यों नहीं किया जाता है? क्योंकि कार्य की आवश्यकताओं ने लिंग में बदलाव को आवश्यक बना दिया जो यीशु के लिंग से भिन्न हो।"

परमेश्वर के वचन बहुत स्पष्ट हैं। चाहे परमेश्वर पुरुष के रूप में देहधारण करे या स्त्री के रूप में, उसका सार हमेशा यह होता है कि परमेश्वर का आत्मा परमेश्वर के कार्य को स्वयं कर रहा है। उदाहरण के लिए, प्रभु यीशु प्रकट हुआ और पुरुष के रूप में कार्य किया, उन्होंने व्यवस्था का युग समाप्त किया, अनुग्रह का युग शुरू किया, और मानव जाति को छुटकारा दिलाने के लिए सत्य व्यक्त किया। उन्‍होंने कई संकेतों और चमत्कारों का प्रदर्शन किया और अंततः उन्‍हें सलीब पर चढ़ा दिया गया, जिससे मानव जाति को शैतान के चंगुल से छुटकारा मिला। यह स्पष्ट है कि प्रभु यीशु ने जो भी कार्य किया वह दिव्य कार्य था, और वह स्वयं परमेश्वर थे। इसी तरह अंत के दिनों के मसीह—सर्वशक्तिमान परमेश्वर—प्रकट हुए हैं और स्‍त्री रूप में काम कर रहे हैं, और उन्‍होंने अनुग्रह का युग समाप्त कर दिया है और राज्य का युग शुरू किया है। प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की बुनियाद पर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर परमेश्वर के घर से शुरू होने वाला न्याय का कार्य करते हैं, वह मानवजाति को शुद्ध करने और बचाने के लिए सभी सत्यों को व्यक्त करते हैं, और मानवजाति को बचाने के लिए अपनी प्रबंधन योजना के सभी रहस्यों को उजागर करते हैं। इस तरह के रहस्यों में उनके देहधारण का रहस्य, परमेश्वर के तीन चरणों के कार्य का रहस्य, परमेश्वर के नामों का रहस्य, साथ ही साथ मानवजाति के भ्रष्टाचार का स्रोत और हमारा इंतजार कर रहे अंत और गंतव्य शामिल हैं। परमेश्वर हमारे अहंकारी, दंभी, स्वार्थी, नीच, दुष्ट,छल-कपट आदि जैसे शैतानी स्वभावों का न्याय करने और उसे उजागर करने के लिए भी वचनों का उपयोग करते हैं, ताकि हम शैतान द्वारा अपने स्वयं के भ्रष्टाचार की सच्चाई और परमेश्वर के प्रति अपने पाप और प्रतिरोध के स्रोत को जान सकें। इस बीच, वह हमें पूर्ण उद्धार प्राप्त करने और शुद्ध होने का मार्ग भी दिखाता है, ताकि हम यह जान सकें कि हम अहंकार और स्वार्थ जैसे शैतानी स्वभावों से अपने आपको कैसे मुक्‍त करें, परमेश्वर के अनुकूल बनें, और आगे उसके विरूद्ध विद्रोह न करें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर जो व्यक्त करता है वह अंत के दिनों में मानवजाति के न्याय का तरीक है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रकटन और कार्य बाइबल की इन भविष्यवाणियों को यथावत पूरा करता है: "जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा, क्योंकि वह अपनी ओर से न कहेगा, परन्तु जो कुछ सुनेगा, वही कहेगा, और आनेवाली बातें तुम्हें बताएगा" (यूहन्ना 16:13)। "जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैंने कहा है, वह अन्तिम दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:48)। "क्योंकि वह समय आ पहुँचा है, कि पहले परमेश्वार के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त किए गए सत्यों और किए गए कार्यों को देखकर, हम समझ सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटकर आए प्रभु यीशु हैं, यह कि वह स्वयं परमेश्वर हैं। इसलिए हम यह भी पता लगा सकते हैं कि क्या उनका लिंग पुरुष का है या स्‍त्री का है, जब तक कि वह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है, और जब तक वह मानवजाति को बचाने के लिए सत्य व्यक्त कर सकता है और कार्य कर सकता है, तब तक उसका सार स्वयं परमेश्वर का है। दूसरे शब्दों में, मनुष्य को बचाने का अपना कार्य करने के लिए देहधारण कर रहे परमेश्वर के आत्मा का लिंग से कोई लेना-देना नहीं है। चाहे परमेश्वर का देहधारण पुरुष का हो या स्‍त्री का, जब तक वह लोगों को बचाने और स्वयं परमेश्वर का कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करने में सक्षम है, तब तक वह देहधारण करने वाले परमेश्वर की देह है—वह मसीह है। इसलिए, सृजित प्राणियों के रूप में, हमें तर्क की जो समझ रखनी चाहिए वह इस प्रकार है कि हमें केवल सत्य की तलाश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि इस बात पर कि परमेश्वर की देहधारी देह पुरुष है या स्‍त्री है। हमें परमेश्वर की वाणी सुनने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए, और हमें केवल यह पता लगाने की आवश्यकता है कि वह जो व्यक्त करता है वह सत्य है, और आश्‍वस्‍त रहें कि जो कार्य वह करता है वह मानवजाति को बचाने का कार्य है, और तब हम परमेश्वर के प्रकटन को पा लेंगे, और इसके बाद उसे स्वीकार करना और उसके समक्ष समर्पण कर देना चाहिए। ऐसा करने से ही हमारी गिनती बुद्धिमानों में होगी।

अंत के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्वर का काम अब अपने अंत के करीब आ रहा है। दुनिया भर में सभी देशों के सत्य से प्रेम करने वाले और परमेश्वर के प्रकट होने के लिए लालायित लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों और काम की जाँच-पड़ताल की है और निश्चित हो गए हैं कि वह वापस लौट आए प्रभु यीशु हैं, और एक के बाद एक, वे परमेश्वर के सामने लौट आए हैं। ये वे बुद्धिमान वर्जिन हैं जो, क्योंकि उनका ध्यान प्रभु की आवाज सुनने और सत्‍य की तलाश करने पर है, अब मेमने की दावत में भाग लेंगे। यदि हम अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के आधार पर केवल पुरुष रूप में परमेश्वर का लिंग परिसीमित करना जारी रखेंगे, और सच्चे मार्ग की तलाश करने और उसकी जाँच करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करेंगे, और हम इस बात पर कोई ध्यान नहीं देंगे कि क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की आवाज हैं और क्या उसका काम स्वयं परमेश्वर का काम है, तो हम प्रभु का स्वागत करने का अपना अवसर चूकने के लिए उत्तरदायी होंगे!

यदि आप प्रभु की वापसी के और अधिक रहस्यों को जानना चाहते हैं, तो कृपया हमारे "प्रभु की वापसी का रहस्य" पेज को पढ़ें या इससे संबंधित नीचे दी गई सामग्री के बारे में अधिक जानें।

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