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मेन्‍यू

भजन संहिता 33

1हे धर्मियों, यहोवा के कारण जयजयकार करो। क्योंकि धर्मी लोगों को स्तुति करना शोभा देता है।

2वीणा बजा-बजाकर यहोवा का धन्यवाद करो, दस तारवाली सारंगी बजा-बजाकर उसका भजन गाओ। (इफि. 5:19)

3उसके लिये नया गीत गाओ, जयजयकार के साथ भली भाँति बजाओ। (प्रका. 14:3)

4क्योंकि यहोवा का वचन सीधा है*; और उसका सब काम निष्पक्षता से होता है।

5वह धर्म और न्याय से प्रीति रखता है; यहोवा की करुणा से पृथ्वी भरपूर है।

6आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुँह की श्‍वास से बने। (इब्रा. 11:3)

7वह समुद्र का जल ढेर के समान इकट्ठा करता*; वह गहरे सागर को अपने भण्डार में रखता है।

8सारी पृथ्वी के लोग यहोवा से डरें, जगत के सब निवासी उसका भय मानें!

9क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया।

10यहोवा जाति-जाति की युक्ति को व्यर्थ कर देता है; वह देश-देश के लोगों की कल्पनाओं को निष्फल करता है।

11यहोवा की योजना सर्वदा स्थिर रहेगी, उसके मन की कल्पनाएँ पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहेंगी।

12क्या ही धन्य है वह जाति जिसका परमेश्‍वर यहोवा है, और वह समाज जिसे उसने अपना निज भाग होने के लिये चुन लिया हो!

13यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करता है, वह सब मनुष्यों को निहारता है;

14अपने निवास के स्थान से वह पृथ्वी के सब रहनेवालों को देखता है,

15वही जो उन सभी के हृदयों को गढ़ता, और उनके सब कामों का विचार करता है।

16कोई ऐसा राजा नहीं, जो सेना की बहुतायत के कारण बच सके; वीर अपनी बड़ी शक्ति के कारण छूट नहीं जाता।

17विजय पाने के लिए घोड़ा व्यर्थ सुरक्षा है, वह अपने बड़े बल के द्वारा किसी को नहीं बचा सकता है।

18देखो, यहोवा की दृष्टि उसके डरवैयों पर और उन पर जो उसकी करुणा की आशा रखते हैं, बनी रहती है,

19कि वह उनके प्राण को मृत्यु से बचाए, और अकाल के समय उनको जीवित रखे*।

20हम यहोवा की बाट जोहते हैं; वह हमारा सहायक और हमारी ढाल ठहरा है।

21हमारा हृदय उसके कारण आनन्दित होगा, क्योंकि हमने उसके पवित्र नाम का भरोसा रखा है।

22हे यहोवा, जैसी तुझ पर हमारी आशा है, वैसी ही तेरी करुणा भी हम पर हो।

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