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मेन्‍यू

भजन संहिता 86

1<e>दाऊद की प्रार्थना</e> हे यहोवा, कान लगाकर मेरी सुन ले, क्योंकि मैं दीन और दरिद्र हूँ।

2मेरे प्राण की रक्षा कर, क्योंकि मैं भक्त हूँ; तू मेरा परमेश्‍वर है, इसलिए अपने दास का, जिसका भरोसा तुझ पर है, उद्धार कर।

3हे प्रभु, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं तुझी को लगातार पुकारता रहता हूँ।

4अपने दास के मन को आनन्दित कर, क्योंकि हे प्रभु, मैं अपना मन तेरी ही ओर लगाता हूँ।

5क्योंकि हे प्रभु, तू भला और क्षमा करनेवाला है, और जितने तुझे पुकारते हैं उन सभी के लिये तू अति करुणामय है।

6हे यहोवा मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा, और मेरे गिड़गिड़ाने को ध्यान से सुन।

7संकट के दिन मैं तुझको पुकारूँगा, क्योंकि तू मेरी सुन लेगा।

8हे प्रभु, देवताओं में से कोई भी तेरे तुल्य नहीं, और न किसी के काम तेरे कामों के बराबर हैं।

9हे प्रभु, जितनी जातियों को तूने बनाया है, सब आकर तेरे सामने दण्डवत् करेंगी, और तेरे नाम की महिमा करेंगी*। (प्रका. 15:4)

10क्योंकि तू महान और आश्चर्यकर्म करनेवाला है, केवल तू ही परमेश्‍वर है।

11हे यहोवा, अपना मार्ग मुझे सिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूँगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूँ।

12हे प्रभु, हे मेरे परमेश्‍वर, मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूँगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूँगा।

13क्योंकि तेरी करुणा मेरे ऊपर बड़ी है; और तूने मुझ को अधोलोक की तह में जाने से बचा लिया है।

14हे परमेश्‍वर, अभिमानी लोग मेरे विरुद्ध उठ गए हैं, और उपद्रवियों का झुण्ड मेरे प्राण के खोजी हुए हैं, और वे तेरा कुछ विचार नहीं रखते।

15परन्तु प्रभु दयालु और अनुग्रहकारी परमेश्‍वर है, तू विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है।

16मेरी ओर फिरकर मुझ पर अनुग्रह कर; अपने दास को तू शक्ति दे*, और अपनी दासी के पुत्र का उद्धार कर।

17मुझे भलाई का कोई चिन्ह दिखा, जिसे देखकर मेरे बैरी निराश हों, क्योंकि हे यहोवा, तूने आप मेरी सहायता की और मुझे शान्ति दी है।

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