1यहोवा के लिये एक नया गीत गाओ, हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा के लिये गाओ! (प्रका. 5:9, भजन 33:3)
2यहोवा के लिये गाओ, उसके नाम को धन्य कहो; दिन प्रतिदिन उसके किए हुए उद्धार का शुभसमाचार सुनाते रहो।
3अन्यजातियों में उसकी महिमा का, और देश-देश के लोगों में उसके आश्चर्यकर्मों का वर्णन करो*।
4क्योंकि यहोवा महान और अति स्तुति के योग्य है; वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है।
5क्योंकि देश-देश के सब देवता तो मूरतें ही हैं; परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।
6उसके चारों ओर वैभव और ऐश्वर्य है; उसके पवित्रस्थान में सामर्थ्य और शोभा है।
7हे देश-देश के कुल के लोगों, यहोवा का गुणानुवाद करो, यहोवा की महिमा और सामर्थ्य को मानो!
8यहोवा के नाम की ऐसी महिमा करो जो उसके योग्य है; भेंट लेकर उसके आँगनों में आओ!
9पवित्रता से शोभायमान होकर यहोवा को दण्डवत् करो; हे सारी पृथ्वी के लोगों उसके सामने काँपते रहो*!
10जाति-जाति में कहो, "यहोवा राजा हुआ है! और जगत ऐसा स्थिर है, कि वह टलने का नहीं; वह देश-देश के लोगों का न्याय खराई से करेगा।"
11आकाश आनन्द करे, और पृथ्वी मगन हो; समुद्र और उसमें की सब वस्तुएँ गरज उठें;
12मैदान और जो कुछ उसमें है, वह प्रफुल्लित हो; उसी समय वन के सारे वृक्ष जयजयकार करेंगे।
13यह यहोवा के सामने हो, क्योंकि वह आनेवाला है। वह पृथ्वी का न्याय करने को आनेवाला है, वह धर्म से जगत का, और सच्चाई से देश-देश के लोगों का न्याय करेगा। (प्रेरि. 17:31)