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मेन्‍यू

भजन संहिता 22

1<e>प्रधान बजानेवाले के लिये अभ्येलेरशर राग में दाऊद का भजन</e> हे मेरे परमेश्‍वर, हे मेरे परमेश्‍वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ है?

2हे मेरे परमेश्‍वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता।

3परन्तु तू जो इस्राएल की स्तुति के सिंहासन पर विराजमान है, तू तो पवित्र है।

4हमारे पुरखा तुझी पर भरोसा रखते थे; वे भरोसा रखते थे, और तू उन्हें छुड़ाता था।

5उन्होंने तेरी दुहाई दी और तूने उनको छुड़ाया वे तुझी पर भरोसा रखते थे और कभी लज्जित न हुए।

6परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है।

7वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और होंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं, (मत्ती 27:39, मर. 15:29)

8वे कहते है "वह यहोवा पर भरोसा करता है, यहोवा उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उससे प्रसन्‍न है।" (भज. 91:14)

9परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला*; जब मैं दूध-पीता बच्चा था, तब ही से तूने मुझे भरोसा रखना सिखाया।

10मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया, माता के गर्भ ही से तू मेरा परमेश्‍वर है।

11मुझसे दूर न हो क्योंकि संकट निकट है, और कोई सहायक नहीं।

12बहुत से सांडों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त सांड मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए है।

13वे फाड़ने और गरजनेवाले सिंह के समान मुझ पर अपना मुँह पसारे हुए है।

14मैं जल के समान बह गया*, और मेरी सब हड्डियों के जोड़ उखड़ गए: मेरा हृदय मोम हो गया, वह मेरी देह के भीतर पिघल गया।

15मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है। (नीति. 17:22)

16क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं। (मत्ती 27:35 मर. 15:29 लूका 23:33)

17मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ; वे मुझे देखते और निहारते हैं;

18वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं, और मेरे पहरावे पर चिट्ठी डालते हैं। (मत्ती 27:35, लूका 23:34, यहू. 19:24-25)

19परन्तु हे यहोवा तू दूर न रह! हे मेरे सहायक, मेरी सहायता के लिये फुर्ती कर!

20मेरे प्राण को तलवार से बचा, मेरे प्राण को कुत्ते के पंजे से बचा ले!

21मुझे सिंह के मुँह से बचा, जंगली सांड के सींगों से तू मुझे बचा।

22मैं अपने भाइयों के सामने तेरे नाम का प्रचार करूँगा; सभा के बीच तेरी प्रशंसा करूँगा। (इब्रा. 2:12)

23हे यहोवा के डरवैयों, उसकी स्तुति करो! हे याकूब के वंश, तुम सब उसकी महिमा करो! हे इस्राएल के वंश, तुम उसका भय मानो! (भज. 135:19-20)

24क्योंकि उसने दुःखी को तुच्छ नहीं जाना और न उससे घृणा करता है, यहोवा ने उससे अपना मुख नहीं छिपाया; पर जब उसने उसकी दुहाई दी, तब उसकी सुन ली।

25बड़ी सभा में मेरा स्तुति करना तेरी ही ओर से होता है; मैं अपनी मन्नतों को उसके भय रखनेवालों के सामने पूरा करूँगा।

26नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे। तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें!

27पृथ्वी के सब दूर-दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति-जाति के सब कुल तेरे सामने दण्डवत् करेंगे।

28क्योंकि राज्य यहोवा की का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है। (जेके. 14:9)

29पृथ्वी के सब हष्टपुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत् करेंगे; वे सब जितने मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना-अपना प्राण नहीं बचा सकते, वे सब उसी के सामने घुटने टेकेंगे।

30एक वंश उसकी सेवा करेगा; दूसरी पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।

31वे आएँगे और उसके धर्म के कामों को एक वंश पर जो उत्‍पन्‍न होगा यह कहकर प्रगट करेंगे कि उसने ऐसे-ऐसे अद्भुत काम किए।

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